*वाणी का रखे संयम,व्यर्थ की बातें में समय खराब न करें*
*शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में वर्षायोग प्रवचन*
भीलवाड़ा, 30 अगस्त। जीवन में गम खाने वाले के कषाय शांत हो जाएंगे ओर वह भगवान बन जाएगा। इसके बावजूद कोई गम नहीं खाना चाहता सब कषाय बढ़ाने में लगे रहते है। जब भी बोलो प्रिय बोलो पर पत्थर तोड़ने के लिए चोट जोर से मारनी पड़ेगी। अनादि काल से जीवात्मा के कषाय के संस्कार पड़े हुए है जो मुश्किल से छूटते है। जब भी कषाय बढ़े तो गम खाना सीखना होगा। ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक (वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन के तहत शुक्रवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कोई निंदा करे तो प्रतिकार नहीं करे ओर अपनी वाणी को संयमित रखे। गम खाने से ही गुणस्थान बढ़ते है। घर में आग लगने से पहले ही कुआं खोद लेना चाहिए। अरिहन्त उपदेश देते है सिद्ध भगवान बनने के लिए इसीलिए वह नवकार महामंत्र में पहले स्थान पर है। आचार्यश्री ने कहा कि गम खाना ओर कर्मो का क्षय करना केवल ज्ञान प्राप्त हो जाएगा। एक बार निग्रन्थ बन गए तो 12वां गुणस्थान पक्का हो जाएगा। मोह का विनाश होने पर केवली का पद मिल जाएगा। भगवान महावीर ने 12 वर्ष तक कठिन साधना की ओर ऐसा दिव्य ज्ञान प्राप्त किया जिससे सब पर्याये एक साथ दिखती थी। आप क्या थे, क्या कर रहे हो ओर आगे क्या करोंगे यह केवल ज्ञान से ही जाना जा सकता है। केवल ज्ञान पाने का मार्ग जिनवाणी ही बताती है। इससे पूर्व प्रवचन में आर्यिका सुकाव्यमति माताजी ने कहा कि संसार में प्रत्येक प्राणी शांति तो चाहता है लेकिन इतना कोलाहल संसार में है कि किसी को शांति नहीं मिलती। प्राणी के लिए बोलना मूल्यवान है पर जब भी बोलो हित,मित व प्रिय बोलो। ऐसे वचन जिनेन्द्र भगवान, साधु संतों व सज्जनों के होते है। मीठा ओर थोड़ा बोलना चाहिए। ज्यादा बोलने वाला वाचाल होता है जिसका असर नहीं होता है। उन्होंने कहा कि साधु संतों की बात हमारे अंदर शक्कर की तरह घुल जाती है। वचनों की संपदा सीमित होने से जब भी बोले सीमित बोले। कभी फालतु बातों में समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए ओर दूसरों की चुगली करना व परिहास करना भी समय बर्बाद करने के समान है। हमेशा अपनी वाणी को वीणा के समान मधुर बनाए बाण की तरह नहीं बोले। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि डूंगरपुर प्रगतिनगर से जैन समाज के श्रावकों द्वारा भी आचार्यश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया गया। संचालन पदमचंद काला ने किया। महावीर सेवा समिति द्वारा बाहर से पधारे अतिथियों का स्वागत किया गया। वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।
*भागचंद पाटनी*
मीडिया प्रभारी
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