हम आपके साथ, साइकिल का ध्यान रखना: अखिलेश

जयपुर [नरेन्द्र शर्मा]। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को इस वर्ष होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के चुनावी अभियान की शुरूआत कर दी। पदोन्नति में आरक्षण के नुकसान का बखान करते हुए अखिलेश यादव ने जयपुर में नागरिक अभिनंदन रैली में राजनीतिक तानाबाना भी बुन लिया। पदोन्नति में आरक्षण का विरोध कर रहे सरकारी कर्मचारियों और सवर्ण जातियों को उन्होंने भरोसा दिलाया कि पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ आंदोलन में हम आपके साथ हैं। हम साइकिल वाले हैं, आप हमारी साइकिल का ध्यान रखना।

यादव ने पत्रकारों से भी कहा कि सपा ने राजस्थान में ढांचागत विस्तार की प्रक्रिया शुरू कर दी है, विधानसभा चुनाव मजबूती से लड़ेंगे, मिशन -72 और समाज आंदोलन का सहयोग लेंगे।

यादव ने कहा कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के घोषणा-पत्र में पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने का वायदा किया जाएगा। उन्होंने पदोन्नति में आरक्षण के नुकसान बताते हुए कहा कि इससे भ्रष्टाचार भी खूब बढ़ता है और यह संगठित रूप से होता। इसका उदाहरण उत्तर प्रदेश में दिखने में आया है।

उन्होंने कहा कि वे आरक्षण के खिलाफ नहीं, बल्कि पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि नेताजी ने साफ कहा है कि चाहे उनको सस्पेंड होना पड़े या संसद से इस्तीफा देना पड़े। वे लोकसभा में पदेन्नति में आरक्षण का बिल पास नहीं होने देंगे।

उन्होंने कहा कि राजस्थान से आवाज उठी और उत्तर प्रदेश ने पहल करते हुए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त कर दिया। जनसंख्या में बड़ा उत्तर प्रदेश और क्षेत्रफल में बड़ा राजस्थान दोनों मिल जाए, तो फिर कौन रोक सकता है। अखिलेश यादव राजनीतिक चुटकियां लेने से भी नहीं चूके।

उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश की एक पार्टी बहन जी, जिनको मैं ‘बुआ जी’ कहता हूं ने पदोन्नति में आरक्षण का बिल पास कराने का पूरा प्रयास किया है। सरकारी कर्मचारी जानते हैं कि सरकार को कैसे ठीक किया जाए। यादव ने कहा कि केंद्र में कई अर्थशास्त्री हैं। लेकिन इसके बाद भी महंगाई नियंत्रण में नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस एवं भाजपा दोनों प्रमुख पार्टियों को आगाह करते हैं कि वे सुधर जाएं, वरना यहां भी उत्तर प्रदेश जैसा हालात हो जाएगा। रैली में संकल्प दिलाया कि जिस पार्टी ने संसद में पदोन्नति में आरक्षण बिल का समर्थन किया, उनके प्रत्याशियों को वोट नहीं देंगे।

पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था से प्रदेश में 72 फीसदी सवर्ण कर्मचारी और इनसे जुड़े करीब 5 लाख से अधिक परिवार प्रभावित होते हैं। भाजपा के वोट बैंक में सवर्णो की संख्या अधिक है। अगर सपा विधानसभा चुनाव में उतरती है तो सवर्णो का झुकाव उसके साथ होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि एक तो राजस्थान में पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था, दूसरा केन्द्र में पदोन्नति में आरक्षण बिल का समर्थन करने की भाजपा की घोषणा से इस वर्ग में नाराजगी देखी गई है।

कांग्रेस और सपा के वोट बैंक में एक समानता है-अल्पसंख्यक, एससी-एसटी और ओबीसी। अगर सपा चुनाव में उतरती है तो कहा जा सकता है कि कांग्रेस के इस वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। मुस्लिम-यादव भी सपा की तरफ झुक सकते है। सपा का प्रदेश के तीन जिलों और डेढ़ दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में तो पहले से ही वजूद है, लेकिन अब पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर पूरे प्रदेश में प्रभाव बढ़ सकता है।

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