पशुपालक अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहा है-चौधरी

भारत सरकार के बजट को देखकर देष का पषुपालक अपने आपको ठगा महसूस कर रहा है। मात्र इनकम टैक्स में 12 लाख रूपये तक की छूट देकर पषुपालक एवं किसान के साथ छलावा किया गया है क्यूंकि देष के पषुपालक की औसत आमदनी 4 लाख रूपये  से नीचे आती है, इसी प्रकार इन्होनें पषुपालक क्रेडिट कार्ड ऋण सीमा 3 लाख रूपये से 5 लाख रूपये की है परन्तु इसमें ब्याज दर का स्पष्टीकरण नहीं किया है। इसी की तर्ज पर भारत सरकार ने पषुपालन के विकास हेतु 15000 करोड़ रूपये की घोषणा की थी।
देषभर में लगभग 1 करोड़ पषुपालकों के पषु ऋण हेतु फॉर्म भरे। इसके अन्तर्गत राजस्थान के लाखों पषुपालक एवं अजमेर जिले के 35 हजार पषुपालक शामिल थे फॉर्म ऑनलाईन प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गये, वहाँ से ऋण आवदेन पत्र बैंकों में लौटाये गये बैंक वालों ने 2ः से 3ः पषुपालकों को ही ऋण मिला बाकी पषुपालकों को यह बताया कि हमारे पास ऐसे कोई आदेष नहीं आऐं है अथवा हमारे पास स्टाफ की कमी है या बैंक में इस बाबत् फंड नहीं आने से पषुपालकों को स्पष्ट ऋण देने से मना कर दिया गया। इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा गत वर्ष बजट में राज्य में 5 लाख पषुपालक को एक-एक लाख रूपये ब्याज मुक्त ऋण देने की घोषणा की गई वो भी कठिन शर्त होने के कारण मात्र 4-5ः लोगों को ही ऋण मिल सका है। शेष पषुपालक आज भी इंतजार कर रहे है। इस संबंध मंे अच्छा तो यह होता पषुपालकों को यह ऋण ब्याज मुक्त देने की घोषणा की जाती।
भारत सरकार को अपने बजट में डेयरी व्यवसाय को कृषि क्षेत्र में सम्मिलित करने की घोषणा करनी चाहिए थी जिससे कृषि जिन्सों की भाँति पषुपालकों को दूध पर भी समर्थन मूल्य मिल सकता था एवं दूध उत्पादको की आय में भी वृद्धि होती। पूरे देष के पषुपालक इस बजट में यह उम्मीद कर रहे थे कि दूध एवं दूध के उत्पाद पर ळैज् 12ः से 5ः करते परन्तु यह घोषणा नहीं की गई।
देश के बेसहारा पषुओं की स्थायी समाधान हेतु देषभर में ैमग ैवतजमक ैमउमद निःषुल्क उपलब्ध कराने की घोषणा भी नहीं हुई है जिससे वर्तमान में 1 ैमग ैवतजमक ैमउमद क्वेम पर 900 रूपये का खर्चा है जो पषुपालक वहन नहीं कर सकता एवं बेसहारा पषुओं से किसानों की फसलों को बचाने हेतु प्रत्येक पंचायत स्तर पर गौषाला देने का बजट में प्रावधान करना था।
माननीय प्रधानमंत्री जी की घोषणा बारम्बार हो चुकी है कि 2022 तक पषुपालकों की आय हम दुगुनी करेंगे इस हेतु यदि बजट में दूध व दूध के उत्पाद पर निर्यात पर अनुदान का प्रावधान किया जाता तो निष्चित रूप से पषुपालको ंकी आय में वृद्धि होती।
उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट है कि भारत सरकार नें देष के पषुपालक के साथ छलावा किया है एवं पषुपालकों की आयु दुगुनी होना मरिचिका के समान होगी।
(रामचन्द्र चौधरी)
अध्यक्ष
अजमेर डेयरी
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