जिस तरह हिंदू मतावलंबियों में भूत-पिशाच इत्यादि से बचाव के लिए हनुमान चालीसा व रामचरित मानस के सुंदर कांड का पाठ करने की परंपरा है, उसी प्रकार इस्लाम को मानने वाले भी भूत-प्रेत को दूर भगाने का उपाय करते हैं। कदाचित सभी मुस्लिमों को उस उपाय के बारे में जानकारी होगी क्योंकि मदरसे की शुरुआती तालीम में ही इसका रियाज करवाया जाता है, मगर शायद हिंदुओं को इसकी जानकारी न हो।
सर्वविदित है कि जब भी कोई शुभ काम करते हैं तो उसमें बाधा न आने के लिए कई लोग सुंदरकांड का पाठ करवाते हैं। इसी प्रकार जब भी किसी स्थान पर भय प्रतीत हो तो हनुमान चालीसा का पाठ करने की सलाह दी जाती है, ताकि वहां मौजूद दुष्टात्माएं भाग जाएं। हनुमान चालीसा में ही लिखा है कि भूत-पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे। स्वाभाविक रूप से यह आम जिज्ञासा होती होगी कि मुस्लिम ऐसी स्थिति में क्या करते हैं?
इस्लाम के जानकारों का कहना है कि मखलूकात आपको कोई नुकसान न पहुंचा पाएं, इसके लिए कुरान की एक आयत का तीन बार पाठ करना चाहिए। उस आयत का नाम है आयतुल कुर्सी। उसमें दस जुमले हैं। इस्लाम के जानकार बताते हैं कि आयतुल कुर्सी कुरान की सब से अज़ीम तरीन आयत है।
हदीस में इस आयत को तमाम आयातों से अफजल फऱमाया है। सूरह बकरा की यह आयत कुरान की तमाम आयातों की सरदार है, जिस घर में पढ़ी जाती है, शैतान वहां से निकल जाता है।
स्वाभाविक रूप से वह आयत मूलतः अरबी लिपी में है।
आयत इस प्रकार है-
1. अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहू
2. अल हय्युल क़य्यूम
3. ला तअ खुज़ुहू सिनतुव वला नौम
4. लहू मा फिस सामावाति वमा फ़िल अर्ज़
5. मन ज़ल लज़ी यश फ़ऊ इन्दहू इल्ला बि इजनिह
6. यअलमु मा बैना अयदी हिम वमा खल्फहुम
7. वला युहीतूना बिशय इम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा..अ
8. वसिअ कुरसिय्यु हुस समावति वल अर्ज़
9. वला यऊ दुहू हिफ्ज़ुहुमा
10. वहुवल अलिय्युल अज़ीम
उसका तर्जुमा इस प्रकार है:-
1. अल्लाह जिसके सिवा कोई माबूद नहीं।
2. वही हमेशा जिंदा और बाकी रहने वाला है।
3. न उसको ऊंघ आती है न नींद।
4. जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब उसी का है।
5. कौन है जो बगैर उसकी इजाज़त के उसकी सिफारिश कर सके।
6. वो उसे भी जनता है जो मखलूकात के सामने है और उसे भी जो उन से ओझल है।
7. बन्दे उसके इल्म का जऱा भी इहाता नहीं कर सकते सिवाए उन बातों के इल्म के जो खुद अल्लाह देना चाहे।
8. उसकी ( हुकूमत ) की कुर्सी ज़मीन और असमान को घेरे हुए है।
9. ज़मीनों आसमान की हिफाज़त उसपर दुशवार नहीं।
10. वह बहुत बलंद और अज़ीम ज़ात है।
असल में इस आयत की जानकारी मुझे यूट्यूब पर हॉरर शो चलाने वाले चंद व्लागर के एपीसोड से मिली। इनमें ऊपरी हवाओं से ग्रसित हवेलियों या स्थानों की छानबीन के दौरान वे इस आयत का निरंतर पाठ करते हैं। उनका दावा है कि इससे वे मखलूकात से बचे रहते हैं। इस बारे में विस्तार से जानकारी मुझे मेरी एक परिचित विदूषी डॉ. फरगाना से हासिल हुई। वे अध्यात्म की एक अलग ही दुनिया में विचरण करती हैं। जानकारी काफी दिलचस्प लगी, लिहाजा आप सुधि पाठकों के साथ साझा कर रहा हूं।
एक बेहद रोचक जानकारी ये भी हुई कि जब व्लागर किसी अभिशप्त स्थान पर विजिट करते हैं तो बाकायदा उन मखलूकात से अल्लाह का हवाला देते हुए आग्रह करते हैं कि उन्हें बिना कोई नुकसान पहुंचाते हुए दौरा करने दें। बड़े अदब के साथ ये भी विनती करती हैं कि चूंकि आप अदृश्य हैं, लिहाजा अपने बच्चों को रास्ते से हटा लें, ताकि उनको चोट न लगे।
इस सिलसिले में आपको जानकारी होगी कि जब भी हम घर से बाहर किसी खुले स्थान पर लघुशंका करते हैं तो कुछ आवाज करते हैं अथवा खंखारते हैं या हनुमान जी का स्मरण करते हैं, ताकि अगर वहां कोई भूत इत्यादि हो तो वह वहां से हट जाए। विशेष रूप से इस बात का ख्याल रखते हैं कि किसी पेड़ या झाड़ी के नीचे लघुशंका नहीं करते, क्योंकि वहां भूत-प्रेत आदि के वास की संभावना होती है।