दोस्तो, नमस्कार। हम सब जानते हैं कि रत्नों में हीरा सबसे कीमती माना जाता है। सवाल उठता है कि ऐसी क्या खास बात है कि वह मूल्यवान है? उसमें ऐसी कौन सी विषेशता है कि रत्नों का सिरमौर है? वस्तुतः हीरा इतना कीमती इसलिए होता है, क्योंकि उसमें कई विशेषताएं होती हैं, जो उसे अन्य रत्नों और पत्थरों से अलग बनाती हैं। हीरे पृथ्वी में बहुत गहराई में और बहुत खास परिस्थितियों में बनते हैं। इन्हें खोजना और निकालना मुश्किल होता है, इसलिए ये दुर्लभ होते हैं और दुर्लभ चीजें आमतौर पर कीमती मानी जाती हैं।
सबसे बडी विषेशता ये है कि हीरा दुनिया का सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ है। वर्शों तक धरती के गर्भ में तप कर उसकी रासायनिक संरचना ऐसी हो जाती है, जो बाद में सैंकडों साल तक नहीं बदलती। यानि एक अर्थ में उसकी अवस्था षाष्वत सी हो जाती है। इस प्रतिपल बदलती प्रकृति में जो वस्तु षाष्वत है, उसके प्रति विषेश सम्मान स्वाभाविक है। इसे अपने पास रखने वाले की षाष्वत से निकटता की संभावना बनती है। यही इसकी विषेशता है। इसकी दूसरी विषेशता यह है कि इसे सिर्फ एक और हीरा ही काट सकता है। इसकी यही खासियत इसे आभूषणों और औद्योगिक कामों, जैसे कटर, ड्रिल्स आदि के लिए बेहतरीन बनाती है। इसके अतिरिक्त हीरा जब सही तरीके से काटा और पॉलिश किया जाता है, तो यह बहुत खूबसूरत चमकता है और रोशनी को शानदार तरीके से परावर्तित करता है। इसकी यही चमक इसे गहनों में खास बनाती है। हीरे को प्यार, समर्पण और विलासिता का प्रतीक माना जाता है। सगाई की अंगूठी में हीरा देने की परंपरा ने इसकी मांग और भी बढ़ा दी है। प्रसंगवष बता दें कि 20वीं सदी में डी ब्रीस नामक कंपनी ने बहुत ही स्मार्ट तरीके से हीरे का प्रचार किया। जैसे उनका मशहूर स्लोगन डायमंड इस फोरएवर। इससे लोगों के मन में यह धारणा बन गई कि हीरा सच्चे प्यार का प्रतीक है और इसकी जगह कोई नहीं ले सकता।
