दोस्तो, नमस्कार। भारत और चीन के बीच जिस तरह के मौजूदा संबंध हैं, उसकी वजह से हमारे यहां चीन में बनी वस्तुओं का बहिश्कार करने की मुहिम चलती है, इसके विपरीत दिलचस्प बात ये है कि हमारे यहां चीनी बर्तनों, जैसे कप प्लेट मर्तबान इत्यादि का इस्तेमाल वर्शों पहले से धडल्ले से किया जाता है। एक और बात। चीनी प्रोडक्ट्स के बारे एक धारणा है कि वे टिकाउ नहीं होते। खराब हो जाएं तो ठीक नहीं किये जा सकते। इसके विपरीत चीनी बर्तनों को सुंदर व टिकाउ माना जाता है।
वस्तुतः चीनी मिट्टी के बर्तनों की शुरुआत सच में चीन से ही हुई थी। चीन ने करीब 2000 साल पहले porcelain बनाना शुरू किया था। यह इतना सुंदर और टिकाऊ था कि जब यह यूरोप और बाकी दुनिया में पहुंचा, तो लोग इसे चाइना कहने लगे।
यानि चीनी बर्तन का नाम चीन से आया है, क्योंकि पहले वही इनका मुख्य निर्माता था। बेषक चीनी बर्तन जिसे अंग्रेजी में china” “porcelain” कहा जाता है, वह नाम भले ही चाइना से जुड़ा हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर चीनी बर्तन चीन में ही बना हो। आजकल ये बर्तन कई देशों में बनते हैं, जैसे भारत, जापान, इंग्लैंड, जर्मनी आदि। चीनी षब्द का मलतब सिर्फ स्टाइल और मटैरियल से होता है, न कि चीन से। यानि कि जरूरी नहीं कि चीनी बर्तन चीन से ही आया हो, किसी और देष से भी आ सकता है, मगर कहते उसे चीनी ही हैं।
