विवरण आया कि 1206 का अंक उनके लिए बहुत षुभ था। उन्होंने अपने स्कूटर व कार के नंबर भी यही रखे थे। और संयोग देखिए कि उनका निधन भी 12-06 को हुआ। स्वााभाविक रूप यह कौतुहल उत्पन्न करता है। जो अंक किसी के लिए षुभ हो, उसी अंक का संबंध मृत्यु से कैसे हो सकता है? उसी अंक वाले दिन मृत्यु कैसे हो सकती है? हम समझने की कोषिष करते हैं कि इसका रहस्य क्या हो सकता है। असल में षुभ और अषुभ हमारा दृश्टिकोण है, प्रकृति को उससे कोई लेना देना नहीं है। हां, इतना हो सकता है कि षायद हम जिस अंक के प्रति हम अपना लगाव रखते हैं, वह प्रकृति अंकित कर लेती हो। और उसी अंक पर कोई भी प्रमुख घटना घटित करती हो। उसे इससे कोई प्रयोजन नहीं कि वह हमारे लिए षुभ है या अषुभ। जिस अंक पर हम उत्तीर्ण होते हैं, सफलता हासिल करते हैं, विवाह करते हैं, जिन्हें षुभ मानते हैं, उसी अंक पर प्रकृति हमारी टांग भी तोड सकती है, मृत्यु के लिए भी वही अंक चुन सकती है। सच तो यह है कि जन्म और मृत्यु होना प्रकृति की नजर में एक घटना मात्र है। इसमें षुभ-अषुभ कुछ भी नहीं। हम मृत्यु को अषुभ मानते हैं, वह हमारी मान्यता मात्र है। यह भी तो हो सकता है, जिसे में अषुभ मानते हैं, उसी को प्रकृति मृत्यु प्रदान कर मोक्ष दे रही हो या स्वर्ग भेज रही हो। हमें कुछ नहीं पता। इस रहस्य को समझना कठिन है। प्रकृति बहुत रहस्यपूर्ण है। अनंत है। वह हमारे गणित के ढांचे से बहुत दूर है। असल में हमारी गणित अलग है और प्रकृति की गणित भिन्न। जिसमें समानता होना जरूरी नहीं है। और इसीलिए जिस अंक को हम षुभ मानते हैं, उसी अंक पर अषुभ घटना भी हो सकती है।