
अजमेर। आनासागर के चारों ओर रिंग रोड बनाकर इसका सौंदर्यकरण करने की इच्छा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने व्यक्त की थी। बात 2008-9 की है जब वसुंधरा राजे अजमेर आईं और आनासागर के सौंदर्यकरण योजना पर विचार किया। तब पूर्व मुख्यमंत्री का वसुंधरा राजे का उददेश्य आनासागर को उदयपुर के फतहसागर की तरह खूबसूरत बनाना और पर्यटकों को एक खूबसूरत स्थान बनाकर देना था। शायद राजे को तब यह पता नहीं होगा कि अधिकारी उनकी मंशा को पूरा करने के लिए आठ नौ साल बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में ऐसा पाथ वे बना देंगें जो दिखने में तो खूबसूरत लगेगा लेकिन बदले में शहर को बाढ से नहीं बचा सकेगा। बिना ड्रेेनेज सिस्टम को पूरा किए प्रोजेक्ट को समाप्त भी कर दिया गया। दो सालों की भारी बारिश ने सभी की पोल खोल कर रख दी। पहाडों से निकलकर, बांडी नदी से ओवरफ्लो होकर आने वाला पानी पाथ वे की दीवार से टकराकर रुक गया, निकासी का रास्ता है नहीं, परिणामस्वरुप सागर विहार, ज्ञानविहार, पुरानी, नई चौपाटी में पानी लोगों के लिए मुसीबत बन गया। बात सिर्फ यही खत्म नहीं होती। अधिकारियों ने यह तक नहीं देखा कि ऐलिवेटेज रोड प्रोजेक्ट में ब्रिज पर नीचे की तरफ कलर व पिलरों पर राजस्थानी चित्रकारी बनानी थी, आकर्षक लाईटिंग की जानी थी। ब्रिज के नीचे पिलरों के बीच चौडे डिवाईडर बनाकर उसमें फूलों के पौधे लगाकर उसकी सुरक्षा के लिए फेसिंग की जानी थी लेकिन ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। ऐलोवेटेज रोड का ढांचा बना उसपर सडक बनते ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आनन फानन में लोकार्षण करवा दिया गया। प्रोजेक्ट पर काम करने वाली कंपनियों को, उनसे जुडे प्रशासनिक अधिकारियो को पैमेंट मिल गया, अब कौन अधूरा काम पूरा करे। हजारों करोडो रुपयों की स्मार्ट सिटी योजना पानी में बह गई। अब बहते हुए पानी में जनप्रतिनिधी और जिला प्रशासन माथे पर शिकन लिए हालात का जायजा ले रहे हैं। स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में जो कथित विकास कार्य हुए उन्हे अजमेर के दोनों विधायकों और सांसद ने जमकर अपनी उपलब्धियां बताई। शहर का कायाकल्प बदलना बताया। अब वही लोग बात पलट कर कांग्रेस शासन को जिम्मेदार बता रहे हैं। कांग्रेस अपने को बचाने के लिए भाजपा सांसद, विधायकों, निगम बोर्ड पर आरोप लगा रही है। दोनों पार्टीयों की राजनीति ने शहर का मजाक बनाकर रख दिया है। यह सवाल बेमानी हो गया है कि आज शहर का उत्तर और दक्षिण क्षेत्र पानी में डूबा है उसका जिम्मेदार कौन है।
– मुजफ्फर अली
लेखक एवं पत्रकार, अजमेर