– उपप्रवर्तिनी डॉ. श्री राजमती जी म.सा.
अजमेर 19 जुलाई। मणिपुंज सेवा संस्थान में चातुर्मास हेतु विराजित महाश्रमणी गुरूमाता महासती श्री पुष्पवती जी (माताजी) म.सा. आदि ठाणा-7 के परम पावन सान्निध्य में प्रवचन श्रृंखला को जारी रखते हुए उपप्रवर्तिनी सदगुरुवर्या श्री राजमती जी म.सा. ने फरमाया – मन, वचन, काया से हम महान भी बन सकते हैं और शैतान भी। इसी से कर्म बन्धन भी होते हैं। कभी-कभी हम बुरे कर्म को अच्छा समझने लगते हैं। यह कैसे निर्णय हो कि हम पापी हैं या पुण्यवान, अच्छे है या बुरे। इसके लिए आप जागृत हो कर विवेक से काम करेंगे तो अच्छे-बुरे नापने का थर्मामीटर आपको मिल जायेगा। किन्तु यह मिलना आसान नहीं है, झूठ व फरेब की दुनिया में कोई भी आदमी अपने को बुरा मानने को तैयार नहीं है। पापी से पानी व्यक्ति अपना अपराध स्वीकार नहीं करता। कभी-कभी तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की कहावत भी चरितार्थ हो जाती है। दोष हमारा होता है किन्तु हमें दिखते नहीं, बुरे कर्म हमारे होते हैं, उसे हम स्वयं देख नहीं पाते। पाप, बुराई में इतने अंधे हो जाते है कि हमें भान नहीं रहता कि हम क्या कर रहे हैं। इसे दिल का दिलेर ही समझ सकता है। स्वयं को पहचानना, सत्य को स्वीकार करना, अपने पापों को स्वीकार करने, अपनी कमजोरियों को पहचानने की शक्ति सम्यक ज्ञान से प्राप्त हो सकती है। अच्छा-बुरा मापने का थर्मामीटर अपना आचरण ही होता है। जो बात, व्यवहार, आचरण तुम्हें दु:ख देता है, कष्ट पहुँचाता है, वह दूसरों को भी कष्ट देता है। इस सच्चाई को जानकर सम्यक्त्व अर्थात् सही समझ आ जाती है। यह पाप-पुण्य अच्छा-बुरा मापने का थर्मामीटर है।
साध्वी डॉ. श्री राजरश्मि जी म.सा. ने फरमाया – वीतराग परमात्मा के अनुसार हिंसा, झूठ, चोरी, व्यभिचार के साथ-साथ परिग्रह भी पाप है। जिस धन-वैभव के लिए दिन-रात कुटिलता करते हैं, वह क्षण भुंगर है और बिजली के समान चंचल है। इस सम्पदा के लिए जो अत्याचर, अनाचार, पापाचार और दुराचार किये जाते हैं वे कर्म जन्म-जन्मांतर तक रूलाते हैं। मन व चित्त से विवेकवान सांसारिक परिग्रहों के प्रति मुच्र्छा भाव और आसक्ति से मुक्त हो जाते हैं वे ही साधक परिग्रह रूपी पाप से भी मुक्त हो जाते हैं और कठोर साधना के द्वारा आवागमन मिटाने में सफल हो जाते हैं, यही हमारे जीवन का परम लक्ष्य है।
साध्वी डॉ. श्री राजऋद्धि जी म.सा. ने सुखविपाक सूत्र की व्याख्या करते हुए सपनों की दुनिया का ज्योतिष शा के अनुसार वर्णन किया। तीर्थंकर के गर्भ में आने से पूर्व माता द्वारा देखे जाने वाले 14 स्वपनों का जिक्र किया। वहीं सुबाहुकुमार जैसे पुण्यशाली पुत्र की माता धारिणी द्वारा देखे गये शुभ स्वप्न का उल्लेख भी किया।
25 जुलाई 2025 को श्रमण संघ के द्वितीय पट्टधर आचार्य सम्राट श्री आनन्दऋषि जी म.सा. की 125 वीं जन्म-जयन्त् श्रावक-श्राविकाएं उत्साहपूर्वक उस दिन आयंबिल तप करने की भावना रख रहे हैं जिसकी व्यवस्थायें तय कर ली गई हैं। तपस्यार्थी श्राविका की तपस्या गतिमान है, उनकी अनुमोदना की गई।
भारत विकास परिषद-महाराणा प्रताप शाखा, अजमेर का बाल संस्कार शिविर सम्पन्न
43 बच्चों ने सीखें संस्कार व सेवा के गुर
आज दिनांक 20 अगस्त को मणीपुंज सेवा संस्थान में चातुमार्साथ विराजित पुष्प-राज ग्रुप की प्रखर वक्ता महासतियांजी डॉ. राज रश्मि जी म. सा. ने बच्चों को अपनी ओजस्वी वाणी में उदबोधित करते हुए कहा कि भारत विकास परिषद यथा नाम तथा गुण के हिसाब से कार्य कर रही है वह भारत के विकास में अपनी महत्ती व उपयोगी भूमिका अदा कर रही है जो प्रशंसनीय व अनुकरणीय है। सभी बच्चों को संस्कारवान बनना चाहिए, बच्चे संस्कारित होगे तभी समाज व देश विकसित होगा एवं विकास के नये आयामों को छूएगा।
निर्भिक वक्ता डॉ. राजऋद्धिजी म.सा. ने शिविरार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मैं सभी बच्चों को केवल एक बात प्रमुख रूप से सिखाना चाहती हूँ कि अपने से बड़ो यथा – माता-पिता, गुरूजन, परिजन आदि के सदैव पैर छुएं, विनयशील बने, विनय एक ऐसा गुण है जो सभी गुणों की जननी है।
समारोह के प्रारंभ में परिषद सचिव दीपक चौपड़ा ने उपस्थित शिविरार्थीयों को भारत विकास परिषद के विभिन्न सौपानों की जानकारी देते हुए जीवन में उनकी महत्ता से सभी को अवगत कराया एवं सभा की विभिन्न गतिविधियां बतलाई। भारत विकास परिषद के अध्यक्ष प्रो. एम. के. रांका ने सभी का आभार व्यक्त किया एवं कहा कि आज के समय में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये ऐसे शिविरों की नितान्त आवश्यकता है।
शिविर में बुलबुल जैन, भाग्य चौपड़ा, दर्शिल गांधी, मोक्षा चौपड़ा, तनिष्क जैन, आंशिका गोयल, याशिका अग्रवाल, हार्दिक जैन, छवि मेहता, रिद्धी उबाना, दर्श गहलोत, तृप्त सिंघवी, अनिका साहू, अनाया जैन, चहक चौपड़ा आदि बच्चों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुती दी। परिषद सदस्य नीरज कोठारी, उर्मिला माहेश्वरी, गोपाल सोमाणी, महेश सोमाणी, चित्रेश लोढ़ा, गौतम कोठारी, अंकित खाब्या, दिलीप कोठारी, सुरेश राठी, रेण मेहता, के.के.अग्रवाल, ममता बाबेल आदि ने शिविरार्थियों को उत्साह बढ़ाया।