एक स्ट्रैटेजिक वेंचर जो प्रशासन, टेक्नोलॉजी एवं साझेदारी के माध्यम से भारत के जीसीसी विकास के अगले चरण को प्रोत्साहित करेगा
बैंगलुरू, अक्टूबर, 2025: भारत के अग्रणी रियल एस्टेट एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स में से एक सत्वा ग्रुप ने इनोवालस के साथ साझेदारी में जीसीसी बेस के लॉन्च की घोषणा की है, यह एक स्ट्रैटेजिक प्लेटफॉर्म है, जिसे भारत में ग्लोबल केपेबिलिटी सेंटरों (जीसीसी) की स्थापना करने और इनका पैमाना बढ़ाने में मल्टीनेशनल कंपनियों की मदद के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर में सत्वा की विशेषज्ञता और इनोवालस की संचालनात्मक उत्कृष्टता पर आधारित जीसीसी बेस विश्वस्तरीय उद्यमों को एकीकृत एवं आधुनिक सिस्टम प्रदान करता है। यह लॉन्च भारत को लागत प्रभावी गंतव्य से विकसित कर इनोवेशन, इंजीनियरिंग एवं डिजिटल रूपान्तरण के ग्लोबल हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। जीसीसी बेस का उद्देश्य गहन स्थानीय विशेषज्ञता, सामरिक साझेदारियों एवं ओद्यौगिक इंटेलीजेन्स का उपयोग कर, भारत में ग्लोबल बिज़नसेज़ की स्थापना एवं विकास को नया आयाम देना तथा जीसीसी की विस्तार यात्रा को सहज और प्रभावी बनाना है।
यह समय इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकता था। भारत एक लागत-प्रभावी गंतव्य की पहचान से कहीं आगे निकल चुका है तथा इनोवेशन, इंजीनियरिंग एवं डिजिटल रूपान्तरण के लिए दुनिया के सबसे वाइब्रेन्ट हब के रूप में उभरा है। ग्लोबल कंपनियां भी अब भारत को लेकर अपनी योजनाओं में बदलाव ला रही हैं, भारत अब उनके लिए सिर्फ बैक ऑफिस ही नहीं रहा, बल्कि इनोवेशन का पावर हाउस और विकास को गति प्रदान करने वाला इंजन बन गया है।
जीसीसी बेस इसी बदलाव को उजागर करता है। यह ऐसा एकीकृत एवं टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड सिस्टम उपलब्ध कराता है, जो ग्लोबल उद्यमों को भारत में अपनी स्थापना करने, पैमाना बढ़ाने एवं सुगम संचालन में सहयोग प्रदान करता है।
आज भारत में 1600 से अधिक ग्लोबल केपेबिलिटी सेंटर हैं, जहां दो मिलियन से अधिक पेशेवर काम करते हैं। ये सेंटर सालाना 46 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक मूल्य उत्पन्न करते हैं। ये सेंटर अब लेनदेन की प्रक्रिया तक ही सीमित नहीं हैं। वे प्रोडक्ट डिज़ाइन, आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स, साइबर सिक्योरिटी एवं अडवान्स्ड एनालिटिक्स में विश्वस्तर पर अग्रणी हैं।
उद्योग जगत के अनुमान के अनुसार 2030 तक भारत में जीसीसी की संख्या 2500 के आंकड़े को पार कर जाएगी, ये सेंटर 110 बिलियन डॉलर के अवसरों के साथ एक मिलियन उच्च कुशलता वाली नौकरियां भी उत्पन्न करेंगे। नैसकोम के मुताबिक दुनिया में शीर्ष पायदान के 2000 कॉर्पोरेशन्स में से 60 फीसदी भारत में जीसीसी का संचालन करते हैं या जीसीसी स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। देश में मौजूद प्रतिभा, डिजिटल सुविधाएं एवं नीतिगत स्थिरता इसके मुख्य कारण हैं।
इस संवेग के बावजूद, जीसीसी स्थापित करना अपने आप में मुश्किल है, जिसके लिए रियल एस्टेट, अनुपालन, प्रतिभा अधिग्रहण और संचालनात्मक प्रशासन के बीच तालमेल बनाना ज़रूरी है। कंपनियां पेपरवर्क के बजाए इनोवेशन पर ध्यान देना चाहती हैं। जीसीसी बेस इसी अंतर को दूर कर प्रक्रिया को आसान बनाएगा। यह एकमात्र अकाउन्टेबल प्लेटफॉर्म बनाएगा, जो स्पीड के साथ-साथ पारदर्शिता एवं अनुपालन को भी सुनिश्चित करेगा।
भारत आज दुनिया के लिए बैक ऑफिस के बजाए इनोवेशन इंजन बनकर उभरा है।’’ शिवम अग्रवाल, वाईस प्रेज़ीडेन्ट, स्ट्रैटेजिक ग्रोथ, सत्वा ग्रुप ने कहा, ‘‘सवाल अब यह नहीं कि इसे भारत में बनाएं या नहीं, बल्कि यह है कि इसे सही तरीके से कैसे करें। कंपनियां इन मुश्किलों, अस्पष्टता तथा दर्जनों वेंडर्स के साथ तालमेल बनाने की कोशिश से थक चुकी हैं। जीसीसी बेस इसी स्थिति में बदलाव लाता है। हमने एक आधुनिक प्लेटफॉर्म बनाया है जो पहले ही दिन से पारदर्शिता, स्पीड एवं प्रशासन बनाए रखते हुए आपको परिपक्वता की ओर ले जाता है। सत्वा में हमारे लिए यह रियल एस्टेट से कहीं बढ़कर है। यह ऐसा भौतिक एवं संस्थागत ढांचा बनाने के बारे में है जो भारत को ग्लोबल इनोवेशन लीडर के रूप में अग्रसर करता है। हम यहां कारोबार को सुगम बना रहे हैं, जो विकास के अगले चरण को गति प्रदान करेगा।’’
जीसीसी बेस के लॉन्च के साथ भारत के पहले ‘स्पेस-टू-स्केल’ प्लेटफॉर्म की भी शुरूआत हुई है। एक एकीकृत मॉडल जो ग्रेड-ए रियल एस्टेट, पॉड आधारित जीसीसी डिलीवरी, और डेटा उन्मुख प्रशासन को एक मंच पर लाता है, और ये सभी एक ही अनुबंध, एसएलए और डैशबोर्ड में समाहित हैं। इस एकीकृत संरचना से संचालन की परेशानियां खत्म हो जाती हैं, कारोबार भारत में स्थापित होने के बाद पहले ही दिन से परिणामों पर फोकस कर सकते हैं।
असल में जीसीसी बेस एक ग्रेजुएटेड, मॉड्युलर फ्रेमवर्क है जो हर कंपनी की विकास की अवस्था के अनुसार अनुकूलित हो जाता है। इसका वर्टिकल-विशिष्ट माइक्रो-जीसीसी पॉड्स (20-75 एफटीई) 90 दिनों के भीतर लाईव हो सकता है, जिससे क्लाइंट्स जनरेटिव एआई डिज़ाइन स्टुडियो, फीचर एक्सेलरेटर पॉड्स, ट्रांसफोर्मेशन पॉर्ड्स और एसओसी एवं थ्रेट-हंटिंग पॉड्स जैसे क्षेत्रों में पूर्णतया फंक्शनल टीमें स्थापित कर सकते हैं। हर माइक्रो-जीसीसी को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह पहले ही दिन में क्विक एक्टिवेशन, अनुपालन संरेखण और उत्पादकता को सुनिश्चित करता है।
क्लाइंट्स का संचालन विस्तारित होने के साथ ग्रेजुएटेड रोड-मैप एक ही प्लेटफॉर्म पर गवर्नेन्स के टूल्स एवं रियल एस्टेट नेटवर्क को बनाए रखते हुए माइक्रो जीसीसी पॉड से फुल स्केल कैप्टिव सेंटर के रूपान्तरण को सुगम बनाता है। यह ‘स्पेस-टू-स्केल’ मॉडल स्पीड, निरंतरता को सुनिश्चित करता है, साथ ही इसमें कई वेंडर्स या दोबारा निवेश की ज़रूरत भी नहीं होती।
पारम्परिक जीसीस अडवाइज़री या ब्रोकरेज मॉडल के विपरीत जीसीसी बेस- सत्वा एवं इनोवालस की विशेषज्ञता का उपयोग कर डिलीवरी में पूर्ण जवाबदेहिता को सुनिश्चित करता है। जिसके परिणामस्वरूप ऐसे टेक इनेबल्ड सिस्टम का निर्माण होता है जो क्लाइंट्स को कंपनी बनाने से लेकर संचालन की परिपक्वता तक ज़िम्मेदार पार्टनर उपलब्ध कराते हैं।
फॉर्च्यून 500 कंपनियों, टेक्नोलॉजी लीडर्स एवं इनोवेशन उन्मुख उद्यमों के लिए कारोबार का प्रीमियम माहौल बनाने में तीन दशकों के अनुभव के साथ- सत्वा ग्रुप भारत में ग्लोबल कंपनियों के लिए भरोसेमंद पार्टनर रहा है। इसके पोर्टफोलियो में मुख्य शहरां में 78 मिलियन वर्गफीट का प्रीमियम विकास शामिल है तथा 71 मिलियन वर्गफीट से अधिक निर्माणाधीन है। हाल ही में ग्रुप ने भारत के सबसे बड़े ऑफिस आरईआईटी, नॉलेज रियल्टी ट्रस्ट (केआरटी) को अपने साझेदार ब्लैकस्टोन के साथ को-स्पॉन्सर करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। छह शहरों में 46 मिलियन वर्गफीट में फैले के ग्रेड ए ऑफिस एसेट्स सहित केआरटी भारत का सबसे विविध आरईआईटी है। यह देश के इंस्टीट्यूशनल रियल एस्टेट लैंडस्केप को आकार देने में सत्वा के नेतृत्व की पुष्टि करता है।
शुरूआत में जीसीसी बेस उच्च विकास वाले सेक्टरों जैसे टेक्नोलॉजी, बैंकिंग, फाइनैंशियल सेवाओं, हेल्थकेयर एवं इंजीनियरिंग पर ध्यान केन्द्रित करेगा, जो देश के जीसीसी फुटप्रिन्ट का तकरीबन 70 फीसदी हिस्सा बनाते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म उद्यमों को उनकी यात्रा के हर चरण में, इकाई निगमन से लेकर परिचालन परिपक्वता तक, शासन, स्थिरता और दीर्घकालिक मूल्य सृजन सुनिश्चित करते हुए, सहायता प्रदान करता है।
‘‘यह बदलाव साफ तौर पर दिखाइ्र दे रहा है। स्टार्ट-अप्स से लेकर फॉर्च्यून 500 तक हर आकार की कंपनियां इसमें रूचि दिखा रही हैं।’ विशाल विजय, सीईओ, जीसीसी बेस ने कहा। ‘‘इस बदलाव को देखकर अच्छा लगता है। पांच साल पहले कंपनियां पैसा बचाने के लिए भारत आती थीं, आज वे जीत हासिल करने के इरादे से आ रही हैं। वे यहां रीसर्च लैब, प्रोडक्ट इंजीनियरिंग टीम और इनोवेशन सेंटर स्थापित करती हैं। जीसीसी अब कॉस्ट सेंटर नहीं बल्कि स्ट्रैटेजिक कोर बन गया है। हम इस बदलाव को जहां तक हो सके संभव बनाना चाहते हैं, ताकि कंपनियों को इसका फायदा मिले।’’
भारत सरकार भी कारोबार को सुगम बनाने और डिजिटल संचालन पर ध्यान दे रही है, ऐसे में जीसीसी बेस प्रोग्राम मैनेजमेन्ट टूल्स, कम्प्लायन्स मॉड्यूल्स एवं रियल-टाईम डैशबोर्ड्स के ज़रिए पूर्वानुमान एवं निर्णय निर्धारण को आसान बनाएगा। यह पारम्परिक महानगरों के दायरे से बढ़कर विकास के नए कॉरीडोर स्थापित करेगा।
डिजिटल एवं बुनियादी सुविधाओं के संयोजन के साथ जीसीसी बेस का लक्ष्य विश्वस्तरीय निवेश को लुभाना, उच्च मूल्य वाली नौकरियां उत्पन्न करना तथा भारत को एंटरप्राइज़ इनोवेशन के भरोसेमंद एवं सक्षम हब के रूप में स्थापित करना है। भारत ‘ऑफिस टू द वर्ल्ड’ के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत बना रहा है, ऐसे में जीसीसी बेस उचित समय पर की गई पहल है जो मल्टीनेशनल कंपनियों को आत्मविश्वास के साथ भारत में अपनी स्थापना, इनोवेट एवं नेतृत्व करने में सक्षम बनाएगी।