वेतन भत्तों में अंतर करने वाले प्रावधान को असवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका में जवाब तलब किया

गैर अनुदानित संस्थाओं को राजकीय नियम अनुसार वेतन भत्तों में अंतर करने वाले प्रावधान को असवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका में जवाब तलब किया 

राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के न्यायाधीश श्री इंद्रजीत सिंह एवं श्रीमती शोभा मेहता ने राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम की धारा 29 तथा राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था नियम 1993 के नियम 34 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका में  राज्य सरकार,शिक्षा निदेशक माध्यमिक शिक्षा,प्रबंध समिति सरस्वती बालिका सीनियर सेकेंडरी स्कूलजवाहर नगर जयपुर,आदर्श विद्या मंदिर आदर्श नगर जयपुर तथा आदर्श शिक्षण परिषद से जवाब तलब किए हैं तथा विचार के लिए स्वीकार किया है उल्लेखनीय की गजानंद शर्मा ने अपने अधिवक्ता डीपी शर्मा के माध्यम से उक्त याचिका प्रस्तुत कर निवेदन किया है कि उक्त प्रावधान संविधान के अनुच्छेद14 ,16 व 21 के विपरीत है क्योंकि उक्त प्रावधान अनुदानित तथा गैर अनुदानित संस्थान के कर्मचारियों को  वेतन भत्ते देने में अंतर  हैं उक्त  प्रावधान गैर अनुदानित संस्थाओं के कर्मचारियों को राजकीय नियमानुसार वेतन देने से वंचित रखते हैं उन्होंने अपने तर्कों के संदर्भ में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय सेक्रेटरी महात्मा गांधी मिशन बनाम भारतीय कामगार व अन्य तथा फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल एम्पलाइज एसोसिएशन बनाम भारत संघ के निर्णय का हवाला दिया दिया जिसके तहत उक्त प्रावधान के समान अनुदानित तथा गैर अनुदानित कर्मचारी के संबंध में वेतन भत्तों में अंतर करने वाले प्रावधान को संविधान के अनुच्छेद14 का उल्लंघन माना तथा संबंधित संस्था तथा राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अनुदानित संस्था के कर्मचारियों तथा गैर अनुदानित संस्था के कर्मचारी के वेतन  में अंतर नहीं किया जा सकता क्योंकि  अनुदानित तथा गैर अनुदानित संस्थाओं के कर्मचारियों काकार्य समान होता हैतथा समान योग्यता होती है  प्रार्थी ने उक्त याचिका में यह भी निवेदन किया कि जिन संस्थाओं के द्वारा मान्यता की शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा उनकी मान्यता समाप्त की जाए तथा आरटीई एक्ट के तहत प्रावधानों की पूर्ण पालन कराई जाए यदि कोई संस्था उसकी पालना नहीं करती है तो मान्यता समाप्त की जाए प्रार्थी की अधिवक्ता की यह भी तर्क दिया कि उक्त संस्थाओं के द्वारा मान्यता लेते समय यह शपथ पत्र दिया जाता है कि वे राजकीय नियम अनुसार वेतन भत्ते देंगे परंतु राज्य सरकार के अधिकारियों की मिली भगत कर्मचारियों का शोषण करते हैं

Leave a Comment

This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

error: Content is protected !!