घोषपुर हाई स्कूल एलुमनाई वेलफेयर एसोसिएशन का भव्य आयोजन: मेधावी पूर्व छात्रों का सम्मान और जरूरतमंदों को सहायता

नवगठित ‘घोषपुर हाई स्कूल एलुमनाई वेलफेयर एसोसिएशन’ द्वारा शनिवार, 8 नवंबर 2025 को दोपहर 2 बजे घोषपुर रश्मंचा परिसर के समीप एक भव्य और प्रेरणादायी समारोह का आयोजन किया गया। इस शुभ अवसर पर न केवल विद्यालय के मेधावी पूर्व छात्रों को सम्मानित किया गया, बल्कि निराश्रित, प्रतिभाशाली और असाध्य रूप से बीमार पूर्व विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई।कार्यक्रम का शुभारंभ पूजनीय स्वामी महाक्रमानंद महाराज, प्रधानाचार्य, रामकृष्ण मठ एवं मिशन, तमलुक की मंगल उपस्थिति में हुआ। महाराजजी ने एलुमनाई वेलफेयर एसोसिएशन का ध्वजारोहण कर उद्घाटन किया। उपस्थित माताओं और बहनों ने उलूद व शंखध्वनि से वातावरण को शुभ और आध्यात्मिक भावों से भर दिया।कार्यक्रम के मंच पर कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे—जिनमें प्रख्यात गणितज्ञ एवं ‘राजाबाजार साइंस कॉलेज’, कोलकाता से जुड़े 82 वर्षीय प्रोफेसर बीरेंद्रनाथ मंडल, महिषादल महिला महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. नारायण चंद्र मैती, प्रतिष्ठित शिक्षाविद् डॉ. गोविंदा प्रसाद कर (बाजकुल महाविद्यालय), तथा लेखक और लोकसंस्कृति शोधकर्ता डॉ. चित्तरंजन मैती प्रमुख रहे।
इसके साथ ही पूर्व प्रधानाध्यापक वासुदेव मिश्रा, फिल्म निर्माता धनंजय मंडल, लेखक-प्रकाशक डॉ. सुकेश मंडल, विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. बानीप्रसाद डे, पल्सिता हाई स्कूल के पूर्व प्रधानाध्यापक विनोद बिहारी सामंत और एसबीआई के पूर्व प्रबंधक भी मंचासीन थे। सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत बैज, स्मृति चिन्ह और चंदन तिलक से किया गया।शुभारंभ के उपरांत विद्यालय के पूर्व छात्रों ने एक भावनाप्रवण उद्घाटन गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात स्वामी महाक्रमानंद महाराजजी ने अपने आशीषपूर्ण उद्बोधन में भगवान श्रीरामकृष्णदेव, मां शारदा देवी और स्वामी विवेकानंद को नमन करते हुए कहा कि आज समाज में नैतिक मूल्यों की अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि शिक्षा केवल बौद्धिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक होनी चाहिए। स्वामीजी की गुरुकुल शिक्षा प्रणाली पुनः जीवित करने की आवश्यकता है ताकि विद्यार्थियों में नैतिकता, सहानुभूति और सेवा भावना विकसित हो।इसके पश्चात मंत्री बिप्लब रॉय चौधरी (पी.बी. सरकार) ने विद्यार्थियों को आत्मचिंतन और ध्यान के माध्यम से जीवन का उद्देश्य खोजने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि मोबाइल और विचलन के इस युग में मन की एकाग्रता और गुरु के आदर्शों का अनुसरण ही सच्ची शिक्षा है।डॉ. नारायण चंद्र मैती और अन्य विद्वानों ने भी स्वामी विवेकानंद की विचारधारा तथा मानवीय सेवा के महत्व पर अपने विचार रखे।
पूर्व प्रधानाध्यापक वासुदेव मिश्रा ने इस कल्याणकारी पहल के लिए एलुमनाई संघ की सराहना करते हुए कहा कि ऐसा संगठन समाज के लिए प्रेरणास्रोत है, जो अपने जरूरतमंद साथियों की सहायता हेतु समर्पित है।समापन पर संघ के अध्यक्ष ननिगोपाल अदक ने भावुक शब्दों में कहा कि “यहां आकर मैंने पाया कि यह संगठन वास्तव में ‘शिव ज्ञान द्वारा जीव सेवा’ के आदर्श को साकार कर रहा है।” मंच पर उपस्थित अन्य शिक्षाविदों, प्रोफेसरों, लेखकों और फिल्मकारों ने भी इस मानवतावादी प्रयास की प्रशंसा की।इस प्रकार घोषपुर हाई स्कूल एलुमनाई वेलफेयर एसोसिएशन का यह समारोह न केवल पूर्व छात्रों के उत्साह और अपनत्व का प्रतीक बना, बल्कि समाज में शिक्षा, सेवा और अध्यात्म के संगम की मिसाल भी प्रस्तुत कर गया।

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