सुप्रीम कोर्ट द्वारा वीरप्पन के चार साथियों की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर देने के बाद उनको फांसी देने की तैयारी भी शुरू हो गई है। शनिवार को डाक्टरों ने चारों दोषियों के वजन और बीपी की जांच की थी। वहीं चारों को ही अन्य कैदियों से अलग कर लिया गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन कैदियों ने स्नान के बाद मिठाई खाने की इच्छा जताई है। जेल मेनुवल के मुताबिक फांसी की सजा पाए दोषियों को अन्य कैदियों से तभी अलग किया जाता है जब उन्हें फांसी दी जानी होती है। यह चारों कर्नाटक की बेलगाम जेल में बंद हैं।
इससे पहले इनकी फांसी की दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद फांसी की सजा पाए इन चारों दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जानकारी के मुताबिक इन चारों दोषियों के लिए फांसी की तारीख रविवार, 17 फरवरी तय की गई थी।
चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर के कार्यालय के से मिली जानकारी के मुताबिक चीफ जस्टिस के सामने यह मामला रखा गया लेकिन उन्होंने इस पर सुनवाई करने से साफ इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं कि दोषियों को रविवार को फांसी दी जानी है, लिहाजा यह मामला नियमानुसार ही देखा जाएगा।
गौरतलब है कि वर्ष 1993 में कर्नाटक के पलार में बारूदी सुरंग विस्फोट मामले में वीरप्पन के बड़े भाई ज्ञानप्रकाश, सिमोन, मीसेकर मदैया और बिलावेन्द्रन को वर्ष 2004 में मौत की सजा सुनाई गई थी। इस हमले में 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 13 फरवरी को उनकी दया याचिकाएं खारिज कर दी थीं। चारों दोषी कर्नाटक के बेलगाम की एक जेल में बंद हैं। वर्ष 2001 में मैसूर की एक टाडा अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी लेकिन शीर्ष अदालत ने सजा को बढ़ाकर मृत्युदंड कर दिया। गिरोह का सरगना वीरप्पन अक्टूबर 2004 में तमिलनाडु पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।
इससे पहले राष्ट्रपति द्वारा संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की दया याचिका खारिज करने के पांच दिन के अंदर उसको दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी। वीरप्पन के साथियों का मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोनसाल्वेस ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ने इस आधार पर इस मामले पर सुनवाई नहीं की कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि मौत की सजा पर रविवार को अमल किया जाना है। उन्होंने कहा कि अल्तमस कबीर ने उनसे कहा है कि इस मामले में तय प्रक्रिया के अनुसार विचार किया जाएगा।
हालांकि गोनसाल्वेस और उनके सहयोगी अधिवक्ता समीक नारायण ने उम्मीद जताई है कि फांसी की सजा पाए चारो दाषियों को अब रविवार को फांसी नहीं दी जाएगी। अब इस मामले को वह सोमवार को फिर सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे।