युवक कांग्रेस अध्यक्ष के लिए हो रही है लॉबिंग

youth congressकांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई पर जाट जाति के मुकेश भाकर के कब्जे बाद अब अग्रिम संगठन युवक कांग्रेस पर कब्जे के लिए मारामारी शुरू हो गई है। इसके लिए राजपूत व ब्राह्मण जाति के दावेदार लामबंद होने लगे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह काफी महत्वपूर्ण भी है, चूंकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी युवाओं को ज्यादा तरजीह देने की बात कर रहे हैं।
असल में पहले संगठन में मनोनयन होता था, इस कारण हाईकमान जातीय समीकरणों का संतुलन आसानी से बैठा लेता था, मगर अब चुनावी प्रक्रिया से गुजरना होता है, इस कारण बड़े नेताओं ने लॉबिंग कर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश शुरू की है। इस वक्त अग्रिम संगठनों युवक कांग्रेस, सेवादल, महिला कांग्रेस और एनएसयूआई पर ओबीसी वर्ग के अध्यक्ष होने के कारण भी परिवर्तन की मुहिम चलाई जा रही है। जहां तक एनएसयूआई का सवाल है, वहां पहले से ही सुमित भगासरा के जरिए जाटों का कब्जा था। अब मुकेश भाकर के माध्यम से वह कब्जा बरकरार है। हालांकि पहले गैर जाट के प्रयास हुए थे, मगर बाद में ढ़ील दे दी गई। वजह ये कि राहुल गांधी ने युवकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने का ऐलान किया तो बेहतर ये लगा कि युवक कांग्रेस पर कब्जा किया जाए। उसी रणनीति के तहत युवक कांग्रेस के चुनाव में इस बार अध्यक्ष पद के लिए चिकित्सा राज्य मंत्री राजकुमार शर्मा के भाई राजपाल शर्मा व विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत के पुत्र बालेन्दु शेखावत प्रमुख रूप से दावेदारी कर रहे हैं। यूं जाट भी शांत नहीं हुए हैं। उनमें विधायक रूपाराम डूडी के पुत्र चेतन डूडी, हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष परसराम मोरदिया के पुत्र महेश मोरदिया आदि भी दावेदार माने जा रहे हैं।
फिलहाल युवक कांगे्रेस में सदस्यता की छंटनी हो रही है। चुनाव ग्राम पंचायत स्तर से शुरू होंगे। ऐसे में अध्यक्ष के दावेदार इस कोशिश में जुटे हैं कि वे अपने समर्थकों को ग्राम पंचायत स्तर पर ही जितवाएं। कोशिश ये की जा रही है कि पहले से बड़े नेताओं, विधायकों व जिलाअध्यक्षों में सहमति बना ली जाए, ताकि राजपूत या ब्राह्मण को प्रदेश युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सके। उनकी बात में को इस कारण वजन मिल रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में जीतने के लिए जातीय संतुलन जरूरी है और जाहिर तौर पर युवक कांग्रेस की चुनाव में अहम भूमिका होती है। देखने वाली बात ये होगी कि क्या ये प्रयास सफल हो पाएंगे?
-तेजवानी गिरधर

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