जयपुर। अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के मामले पर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। प्रश्नकाल में दौरान सरकार पर छात्रवृत्ति मामलों की जांच ठीक से न करवाने का आरोप लगाया गया। साथ ही प्रतिपक्ष ने उदयपुर सांसद के पुत्र के फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति लेने के मामले में कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप भी लगाया ।
विधानसभा में सोमवार को विधायक कालीचरण सराफ और नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने आरोप लगाया कि छात्रवृत्ति मामलों की जांच कराई जाये तो पिछले दस सालों में 200 करोड़ रूपये से भी ज्यादा का घोटाला सामने आयेगा। सरकार केवल कुछ जिलों की जांच कराकर खानापूर्ति कर रही है। पूरे राज्य में इसकी जांच होनी चाहिये।
इन आरोपों का जवाब देते हुये सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री अशोक बैरवा ने बताया कि इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 85 मामले दर्ज किये हैं। उन्होंने बताया कि दौसा, करौली, सवाईमाधोपुर, जयपुर तथा टोंक जिलों में जांच चल रही है और दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन प्रतिपक्ष ने इसे संतोषजनक जवाब नहीं माना।
वहीं, दूसरी तरफ यह सामने आया कि पांच सालों में 99 हजार ओबीसी विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित रह गये हैं। इस संबंध में विधायक ओम बिडला के सवाल पर सरकार की ओर से दिये गये जवाब में बताया गया कि 2008-09 से 2011-12 तक 99 हजार 964 ओबीसी विद्यार्थियों को उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत छात्रवृत्ति नहीं मिल पाई। वर्ष 2008-09 में 19 हजार 344 और 2009-10 में करीब 21 हजार 509 आवेदक छात्रवृत्ति से वंचित रहे। जयपुर इस मामले में सबसे ऊपर है। यहां चार साल में 23 हजार से ज्यादा पात्र ओबीसी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं मिली।
इसके अलावा विधानसभा में प्रतिपक्ष और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई बहस के दौरान कई बार पक्ष प्रतिपक्ष के सदस्यों में तकरार हुई। प्रतिपक्ष ने अलवर में बड़े पैमाने पर अवैध खनन, गोपालगढ़ मामले में मुस्लिमों के साथ अत्याचार जैसे मामले उठाने के साथ राज्य की फ्लैगशिप योजनाओं को फ्लॉप बताया। वहीं सत्तापक्ष ने राज्य सरकार की योजनाओं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काम की जमकर तारीफ की। बहस में भाजपा के शंकरलाल अहारी, लालशंकर घाटिया, भाजपा के हबीबुर्रहमान ने भी हिस्सा लिया।