200 दवाओं पर गिरेगी गाज

medicineजयपुर । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक निर्देश से करीब 200 दवाओं पर रोक लगने की आशंका मंडराने लगी है। मंत्रालय ने फिक्स डोज कॉम्बिनेशन वाली उन दवाओं के मामले में कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है, जिन्हें भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल की अनुमति के बिना ही बाजार में उतार दिया गया। इन्हें राज्यों के ड्रग कंट्रोलर्स ने अपने स्तर में मंजूरी दी थी।

अब मंत्रालय ने राज्यों के ड्रग कंट्रोलर्स को निर्देश दिया है कि 1 अक्टूबर 2012 से पहले मंजूर किए गए इस तरह के सभी कॉम्बिनेशन को बनाने वाली कंपनियां अपनी दवाओं की क्षमता और सेफ्टी प्रमाणित करें, वरना उन पर रोक लगा दी जाएगी। केन्द्र के इस आदेश से दवा कंपनियों में हड़कंप मच गया है। माना जा रहा है कि अगर कंपनियां अपनी दवाओं की क्षमता के बारे में पुख्ता सबूत नहीं दे पाई तो कम से कम 200 दवाओं पर गाज गिर सकती है। आमतौर पर एफडीसी के नाम से जानी जाने वाली इन दवाओं को कुछ साल्ट्स के साथ मिलाकर बनाया जाता है।

डीसीजीआई डॉ. जी.एन. सिंह ने राज्यों के ड्रग कंट्रोलर्स को भेजे एक पत्र में कहा है कि कॉम्बिनेशन के बाद बनने वाली दवा एक नई मेडिसिन होती है और देश में इसके निर्माण और बिक्री के लिए उनके कार्यालय की अनुमति जरूरी होती है।

पत्र में यह भी कहा गया है कि यदि राज्यों ने 1 अक्टूबर 2012 के बाद भी ऐसी किसी दवा को बनाने की अनुमति दी है तो संबंधित कंपनी को उसकी क्षमता प्रमाणित करनी होगी। साथ ही उसके साइट इफेक्ट्स आदि के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी। डीसीजीआई ने इस काम के लिए 18 महीने का समय दिया है। राजस्थान सरकार को भी पिछले दिनों इस तरह का पत्र मिला है।

राजस्थान के चिकित्सा मंत्री दुर्रू मिंया ने इस बारे में मुख्यमंत्री के साथ भी बैठक की और फिर अधिकारियों को केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देश मानने के लिए कहा गया है। दरअसल, डीसीजीआई की नींद भी इस मामले में स्वास्थ्य मामलों को संसदीय समिति के कड़े एतराज के बाद खुली है।

समिति ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में एफडीसी को मनमाने तरीके से मंजूरी देने पर सख्त नाराजगी जताई थी। समिति ने कहा था कि देश के बाजारों में बिक रहे कई एफडीसी अवैज्ञानिक तरीके से तैयार किए गए हैं और इनका जनता की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जिन कॉम्बिनेशनंस की लिस्ट तैयार की है उसमें सबसे ज्यादा दवाएं एटॉरवास्टेटिन, रैबीप्राजोल और पैरासिटामॉल के संयोग से बनाई गई है। इसके साथ ही कई विटामिन कॉम्बिनेशंस को भी अविवेकपूर्ण पाया गया है। एटॉरवास्टेटिन का इस्तेमाल कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लीसराइड का लेवल कम करने और रैबीप्राजोल पाचन संबंधी बीमारियों का इलाज करने के काम आती है।

इससे पहले 2007 में भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने 294 एफडीसी को अवैध करार देते हुए राज्यों को इन्हें बनाने के लाइसेंस रद्द करने के आदेश दिया था। दवा कंपनियों ने इस आदेश को कोर्ट में चुनौती दे दी थी। माना जा रहा है कि ऐसा ही इस बार भी हो सकता है।

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