नई दिल्ली। श्रीलंका में 2009 में गृह युद्ध की समाप्ति के बाद भी सुरक्षा बलों ने तमिल बंदियों से जुर्म कबूल कराने के लिए न केवल तरह-तरह की यातनाएं दी थीं बल्कि उनके साथ रेप तक किया था। आज भी उन्हें यातनाएं दी जा रही हैं।
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) की ओर से मंगलवार को यह दावा किया गया। इसकी ओर से श्रीलंका में बंदीगृहों में रखे गए लोगों के साथ सुरक्षा बलों द्वारा कई बार रेप और यौन शोषण के 75 मामलों के बारे में बताया गया है। पीड़ितों में से अधिकांश अब ब्रिटेन में शरण मांग रहे हैं। उनका कहना है कि जब उन्होंने लिट्टे का सदस्य होने की बात कबूल कर ली तो उन्हें यातना देना बंद कर दिया गया। उन्हें घूस लेकर श्रीलंका से बचकर निकल जाने की भी अनुमति दी गई।
संगठन की दक्षिण एशिया क्षेत्र की निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने संवाददाताओं से कहा, जुर्म कबूल कराने के लिए रेप का सहारा लिया गया। ये वे लोग थे जिनका तमिल विद्रोहियों से संबंध था। उन पर जुर्म कबूल करने के लिए दबाव डाला गया और उसके बाद ही रेप बंद करने की बात कही गई। उन्होंने कहा कि इसके अलावा लोगों को सिगरेट से जलाया गया और उन्हें उल्का लटका दिया गया।
भारत में श्रीलंका के उच्चायुक्त प्रसाद कारियावासम ने कहा है कि उनके पास इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं जिसके आधार पर वह एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट को सही ठहरा सकें।
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