RPSC:विभिन्न संवर्गों में है 189 पदों की जरूरत

rpscअजमेर.राजस्थान लोक सेवा आयोग में विभिन्न संवर्गों  के करीब 189 पदों की जरूरत है। इनमें सहायक कर्मचारियों से लेकर उप सचिव स्तर तक के पद शामिल हैं। सर्वाधिक पद मंत्रालयिक कैडर से लेकर डिप्टी सैकेट्री तक के हैं। इनमें भी कनिष्ठ लिपिकों के पदों की संख्या सबसे ज्यादा है। राजस्थान लोक सेवा आयोग मंत्रालयिक कर्मचारी संघ ने मौजूदा कार्यभार के चलते जरूरत के मुताबिक पदों के औचित्य का सुसंगत विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विस्तृत ज्ञापन भेजकर पदों के सृजन की स्वीकृति देने का अनुरोध किया है।
काम की मार, इसलिए दरकार
कर्मचारी संघ के अध्यक्ष दयाकर शर्मा ने बताया कि आयोग के पास गत कुछ सालों से अत्यधिक कार्यभार बढ़ गया है। जबकि उसके अनुपात में पदों में अपेक्षित वृद्धि नहीं की गई है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर के कामकाज और वहां कार्मिकों की तादाद से तुलना करते हुए बताया गया कि बोर्ड में प्रतिवर्ष परीक्षा के लिए 20 लाख ऑनलाइन आवेदनों के कामकाज को निपटाने के लिए साढ़े आठ सौ पद स्वीकृत हैं। जबकि इसके मुकाबले आरपीएससी में प्रतिवर्ष विभिन्न संवर्गो के पदों की प्रतियोगी परीक्षा के प्राप्त होने वाले औसतन 20 लाख आवेदन-पत्रों के लिए मात्र 231 पद ही मंजूर हैं।
आयोग के नाम इतने काम
मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में आयोग द्वारा किए जाने वाले कार्य का तफसील से ब्यौरा दिया गया है। जिसमें आरएएस, आरपीएस सहित लेखा, चिकित्सा, कृषि, तकनीकी शिक्षा, संस्कृत-कॉलेज व स्कूल शिक्षा, पीएचईडी, पीडब्लूडी, न्यायिक सेवा व विभिन्न सरकारी विभागों से प्राप्त होने वाली अर्थनाओं के तहत विज्ञापन प्रकाशन, परीक्षा आयोजन, पात्रता जांच, मूल्यांकन, साक्षात्कार, परिणाम प्रकाशन, पदोन्नति, विभागीय जांच, याचिकाओं का निपटारा, यूजीसी परीक्षा का आयोजन व आरटीआई के प्रार्थना-पत्रों का निपटारा जैसे कार्य गिनाए गए हैं। संघ का यह भी तर्क है कि ज्यादा काम और कम पद होने के कारण कामकाज में विलंब होता है। जिसका असर किसी न किसी रूप में कर्मचारियों को भी भुगतना पड़ता है।
चाहिएं इतने पद
मुख्यमंत्री को आयोग को विभिन्न विभागों की कैडर स्ट्रेंथ, रिक्ती व उनके लिए प्राप्त होने वाले आवेदन-पत्रों की संख्यात्मक सूचना, आयोग के सभी अनुभागों के विभिन्न संवगरें में स्वीकृत पदों की संख्या व आवश्यक पदों का विवरण भेजा गया है। जिसके मुताबिक कनिष्ठ लिपिक से लेकर उपसचिव स्तर के संवर्ग में वर्तमान में स्वीकृत 185 पदों के विरुद्ध 298 पद, स्टेनो से निजी सचिव तक 13 के मुकाबले 19 व पंप ड्राइवर से सहायक कर्मचारियों तक के वर्ग में 55 के मुकाबले 125 पदों की जरूरत बताई गई है।
विकल्प भी सुझाया
संघ के अध्यक्ष दयाकर शर्मा का कहना है कि हमने सरकार को केवल अपनी समस्या ही नहीं बताई है, बल्कि उसके प्रभावी समाधान का पुख्ता विकल्प भी प्रस्तुत किया है। संघ का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा गठित अधीनस्थ सेवा भर्ती आयोग को मौजूदा सरकार द्वारा भंग किए जाने के बाद उसके भवन एवं संसाधनों पर व्यय के लिए तत्समय प्रस्तावित बजट के बराबर की राशि का उपयोग आयोग के मौजूदा स्टाफ में पदों की वृद्धि पर खर्च किया जा सकता है। वित्तीय गणित के अनुसार यदि सरकार अधीनस्थ आयोग में आवंटित किए जाने वाले पदों में से आधे पद भी सृजित कर दे तो स्टाफ की कमी से निजात मिल जाएगी।
error: Content is protected !!