जेपीसी में राजा की गवाही अनिवार्य नहीं

rajaत्रिचूर। 2जी स्पेक्ट्रम मामले पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष पीसी चाको ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा की गवाही को परोक्ष तौर पर नकारते हुए कहा है कि उन्हें बुलाया जाना अनिवार्य नहीं है। चाको ने तर्क दिया कि राजा के अलावा कई अन्य ने भी जेपीसी में गवाही की ख्वाहिश जताई है, लेकिन सभी को बुलाना अव्यावहारिक है।

राजा की गवाही के पक्ष में भाकपा नेता और जेपीसी सदस्य गुरुदास दासगुप्ता के पत्र के बारे में पूछे जाने पर शनिवार को चाको ने यह जवाब दिया। चाको ने कहा कि सभी गवाहों को बुलाकर सुबूत संज्ञान में लिए जा चुके हैं और इस स्थिति में राजा को बुलाया जाना जरूरी नहीं है। हालांकि उन्होंने फिर दोहराया कि इस बारे में आखिरी फैसला जेपीसी सदस्यों की राय के बाद होगा। उल्लेखनीय है कि 2जी स्पेक्ट्रम मामले में आरोपी राजा ने बिना सफाई के आलोचना का हवाला देते हुए 22 फरवरी को लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार और चाको को पत्र लिखकर जेपीसी के समक्ष गवाही की इच्छा जताई थी।

चाको के मुताबिक, जेपीसी से मसौदा रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था और यह काम मई के पहले हफ्ते तक पूरा हो जाएगा। फिर इसे अंतिम रूप देने के लिए जेपीसी की बैठक बुलाई जाएगी और रिपोर्ट को 22 मई को बजट सत्र खत्म होने के पहले ही रखा जाना है। दासगुप्ता के इस दावे पर कि राजा का नाम गवाहों की सूची में था, चाको ने इससे इन्कार करते हुए कहा कि सभी जेपीसी सदस्यों ने गवाहों की अपनी सूची जरूर दी है लेकिन गवाहों की कोई अंतिम सूची अभी तक तैयार ही नहीं की गई है। गौरतलब है कि जेपीसी में द्रमुक सदस्य टीआर बालू और टी शिवा पहले ही राजा की गवाही का समर्थन कर चुके हैं।

भाजपा और वाम मोर्चे का रुख भी इसके पक्ष में है, लेकिन कांग्रेस सदस्य इसके विरोध में हैं। कांग्रेस सदस्यों का मानना है कि भाजपा और वाम दल राजा की गवाही का इस्तेमाल कर नए सिरे से सरकार पर हमला बोल सकते हैं। पूर्व दूरसंचार मंत्री कहते रहे हैं कि 2जी स्पेक्ट्रम के हर फैसले के बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य पक्षों को भरोसे में लिया था।

 

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