भड़ास फॉर मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक रवीश कुमार को अपने चैनल की दखलअंदाजी के बाद ट्विटर और फेसबुक से गायब होना पड़ा है…नए युग की पत्रकारिता का यह काला अध्याय है…सोशल मीडिया ने पत्रकारों को सीधे दर्शकों और पाठकों के साथ संपर्क स्थापित करने का माध्ययम दिया है…यहां पाठक और दर्शक न सिर्फ पत्रकारों का ध्यान उनकी गलतियों की ओर दिलाते हैं बल्कि उन्हें रिपोर्ट करने के लिए कई स्टोरी आइडिया भी देते हैं…
यही नहीं पत्रकार को भी पता चलता रहता है कि जनमानस क्या सोच रहा है…मैं मानता हूं कि पत्रकारिता का सिर्फ एक ही सिद्धांत है…ऐसी स्टोरी करना जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं…यदि लोगों के जीवन के बारे में सटीक और सीधी जानकारी मिले तो पत्रकार ऐसी स्टोरीज और भी बेहतर तरीके से कर सकते हैं…रवीश कुमार का इस तरह सोशल मीडिया से गायब हो जाना बेहद दुखद है… और यह सोशल मीडिया की बढ़ती ताकत का भी अहसास कराता है… यदि भड़ास की खबर पक्की है तो दो बातें समझ में आती हैं… 1. सोशल मीडिया ने स्थापित मीडिया की चूलें हिला दी हैं 2. अब सच को किसी भी पर्दे से ढका नहीं जा सके….वह अपने हर स्वरूप में सामने आता रहेगा…अंत में बस यही उम्मीद करता हूं कि सोशल मीडिया पर मीडिया की सशक्त आवाज बने रवीश कुमार जल्द ही वापस आएंगे…और उनके तेवर पहले की तरह ही रहेंगे…
पत्रकार दिलनवाज पाशा के फेसबुक वॉल से.