जम्मू-कश्मीर को मैदान ए जंग समझते हैं लश्कर के आतंकी

lashkar e taybaवाशिंगटन। प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा [एलईटी] की नई भर्तियों में से 94 प्रतिशत लड़ाके जम्मू-कश्मीर को मैदान ए जंग समझते हैं। इनमें से ज्यादातर लड़ाके पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ऐसे प्रभावशाली परिवारों से हैं, जिनके संबंध शक्तिशाली सेना और खुफिया एजेंसियों से हैं। यह बात इस धारणा को झुठलाती है कि अशिक्षा और गरीबी के चलते ये संगठन में भर्ती हुए। अमेरिकी सेना की हालिया रिपोर्ट में ये बातें कही गई हैं।

मारे जा चुके एलईटी के लड़ाकों की 900 से अधिक आत्मकथाओं के आधार पर पांच लोकप्रिय लेखकों द्वारा लंबे समय तक शोध किया गया। इसी शोध के आधार पर वेस्ट प्वाइंट स्थिति अमेरिकी सैन्य अकादमी के कांबेटिंग टेरेरिज्म सेंटर ने यह रिपोर्ट तैयार की है। ‘द फाइटर्स ऑफ लश्कर ए तैयबा : रिक्रूटमेंट, ट्रेनिंग, डेवलेपमेंट एंड डेथ’ नाम की 60 पृष्ठों की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘लश्करे तैयबा के ज्यादातर लड़ाके पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से भर्ती किए गए हैं। ये लड़ाके औसत पाकिस्तानियों के मुकाबले ज्यादा पढ़े लिखे हैं।’

पुराने समय से एलईटी के प्रशिक्षण शिविर गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद और अफगानिस्तान में चल रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘इन्ही दो ठिकानों पर एलईटी के 75 प्रतिशत लड़ाके प्रशिक्षण हासिल करते हैं। 94 प्रतिशत लड़ाके जम्मू-कश्मीर को जंग का मैदान समझते हैं। इसके अलावा लड़ाकों ने अपनी आत्मकथाओं में अफगानिस्तान, चेचन्या, बोस्निया को भी जंग का मैदान बताया है।’ आंकड़ों के मुताबिक, 1989 के बाद से कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामूला, पुंछ जिलों में लश्करे तैयबा के सबसे अधिक लड़ाके मारे गए हैं।

यहां एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तान के योग्य और होनहार युवाओं को भर्ती कर रहा है। ऐसा करके लश्कर उस परंपरागत सोच को सिरे से नकार रहा है कि अशिक्षा और गरीबी आतंकवाद की जड़ है।

प्रोपब्लिका नाम की खोजी वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लश्कर की नई भर्ती में पाकिस्तान के एक राजनेता, एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और पाकिस्तानी परमाणु ऊर्जा आयोग के रिश्तेदार भी शामिल हैं। रिपोर्ट में पाकिस्तान मुस्लिम लीग की मजदूर शाखा के प्रमुख के बेटे अब्दुल कासिम मुहम्मद असगर का जिक्र भी किया गया है।

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