चीन के मुकाबले भारत ने खोला बराबरी का मोर्चा

indias-opening-march-against-chinas-frontier-नई दिल्ली। लद्दाख में ढिठाई से जमे चीनी सैनिकों के आगे भारत ने भी आंखों से आंखे मिलाता मोर्चा बना लिया है। मामले को सुलझाने के लिए हो रही कूटनीतिक कोशिशों के बीच भारत ने अपनी सैन्य मोर्चेबंदी को भी मजबूत किया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर राकी नाला इलाके में चीनी तंबू के आगे अपना तंबू भी लगा लिया है। साथ ही चीन सीमा से सटे सेना और वायुसेना के पूर्वी सेक्टरों के सभी संवेदनशील ठिकानों को भी अलर्ट किया गया है।

सूत्रों के मुताबिक लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी इलाके में स्थित राकी नाला पर बीते दस दिन से बनी चीनी टैंट चौकी के मुकाबले भारत-तिब्बत सीमा पुलिस व लद्दाख स्काउट्स के जवानों ने भी मोर्चा संभाल रखा है। राकी नाले पर एक ओर चीनी सेना का टेंट है तो दूसरी ओर भारतीय सेना ने भी टेंट लगाया है। बताया जाता है कि भारतीय हद में करीब 18 किमी तक घुसे चीनी सैनिक रायफलों से लैस हैं, लेकिन अभी तक इस आमने-सामने में किसी तरह की गोलीबारी नहीं हुई है। दोनों पक्ष एक-दूसरे को वापस लौटने का बैनर दिखाते हुए जमे हुए हैं। दोनों ओर से सैनिक करीब 200 मीटर की दूरी पर आमने-समाने जमे है।

सूत्र बताते हैं कि राकी नाला में आमने-सामने के इस मोर्चे से एक ओर 500 मीटर की दूरी पर चीनी सेना का तंबू है। माना जा रहा है कि राकी नाला क्षेत्र में 50 चीनी सैनिक हैं जिसमें से 20 मोर्चे पर हैं और शेष तंबू में। चीनी फौजियों के साथ न केवल वाहन हैं बल्कि विवादित स्थल से 25 किमी दूर स्थित स्थाई चौकी से वाहनों की आवाजाही भी हो रही है। गत 15 अप्रैल को पहली बार इलाके में चीनी सैनिकों की मौजूदगी के बाद भारत भी 17 अप्रैल से अपना निगरानी दल तैनात कर चुका है। सूत्रों के मुताबिक भारत ने भी समान संख्या के साथ अपना गश्ती दस्ता समाने तैनात किया है। चीनी सैनिक दस्ते में तीन अधिकारियों के अलावा दो कुत्ते भी शामिल हैं।

महत्वपूर्ण है कि सीमांकन पर मतभेद और दोनों पक्षों के अलग-अलग धारणाओं के कारण मौजूदा विवाद में भारत की कोशिश टकराव टालने के साथ ही यह जताने की भी है कि वह अपने दावे से कोई समझौता नहीं कर रहा। इस बीच भारत ने लेह स्थित 14 कोर को अलर्ट पर रखा है। वहीं मानवरहित टोही विमानों से इलाके की निगरानी भी रखी जा रही है। गुरुवार को नई दिल्ली में हुई वायुसेना के पश्चिमी कमान के स्टेशन कमांडरों की बैठक में भी निगरानी और सतर्कता पर जोर दिया गया।

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