नई दिल्ली। दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे का वर्ल्ड हेरिटेज का ताज खतरे में है। यूनेस्को ने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार से कहा है कि यदि जल्द ही इस रेलवे की हालत सुधारने के उपाय नहीं किए गए तो इस विश्व धरोहर को खतरे वाली साइट्स में शुमार किया जा सकता है।
इस सिलसिले में अपनी चिंता से अवगत कराने के लिए लंदन स्थित दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे सोसाइटी ने रेलमंत्री पवन कुमार बंसल को अगले महीने अपने सम्मेलन में आमंत्रित किया है।
यूनेस्को में भारत, भूटान, मालदीव व श्रीलंका केप्रतिनिधि शिगेरू आयोगी ने रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी को इस बाबत खत लिखा है। इसमें कहा गया है कि यदि भारत की तरफ से दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के पुनरुद्धार के लिए तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति इसे ऐसी खतरे वाली धरोहरों की श्रेणी में रखने को बाध्य होगी ताकि इसके संरक्षण के लिए सुनिश्चित कार्यक्रम चलाया जा सके।
यूनेस्को ने रेलवे को सुझाव दिया है कि वह अपने अफसरों को पेरिस स्थित विश्व धरोहर केंद्र भेजे और उसे इस विश्व धरोहर के संरक्षण के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी प्रदान करे। यूनेस्को के कहने पर रेलवे का धरोहर निदेशालय दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए समग्र योजना तैयार कर रहा है जिसके अगस्त तक पूरा होने की उम्मीद है।
इससे पहले संसद की पर्यटन एवं परिवहन से संबंधित स्थायी समिति ने भी दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की हालत को लेकर चिंता प्रकट की थी और दैनिक जागरण ने समिति की उस रिपोर्ट को पाठकों के साथ साझा किया था। संसदीय समिति के अध्यक्ष सीताराम येचुरी ने कहा था कि दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की हालत खराब है और इस पर समुचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
शिमला टॉय ट्रेन के अलावा दार्जिलिंग रेलवे भारत की दूसरी हिल रेलवे है जिसे विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त है। इस नैरो गेज लाइन की लंबाई 78 किलोमीटर है। इसका निर्माण 1879 से 1881 के दौरान किया गया था। इसे 1999 में विश्व धरोहर का दर्जा मिला था। लेकिन 2010 से इसे समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 2011 में सिक्किम में आए भूकंप के बाद इसकी हालत और भी खराब हो गई। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस लाइन पर पुनरुद्धार कार्य केंद्र और राज्य सरकार दोनों की उदासीनता के कारण बेहद सुस्त गति से चल रहा है।
लाइन की मरम्मत में विलंब से फिलहाल केवल दो खंडों में टॉय ट्रेन चल पा रही है। जबकि इसके साथ की सड़क भी खराब है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अभी कुछ समय पहले ही इसकी मरम्मत के लिए 83 करोड़ रुपये जारी किए हैं।