नई दिल्ली। कर्नाटक के नतीजे कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं होंगे। चुनाव का नब्ज पहचानने वाले राजनीतिक पंडित कांग्रेस के पक्ष में हवा बता रहे हैं। वैसे तो सत्ता के लिए अभी ढे़र सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन चलिए हम आपको वो पांच कारण बता रहे हैं जिसकी वजह से कर्नाटक पर कांग्रेस का कब्जा होगा।
भाजपा में बिखराव
दक्षिण में भाजपा के लिए बी.एस. येद्दयुरप्पा ने रास्ता बनाया था। संकटों का दौर मु यमंत्री बनने के साथ ही शुरू हो गया था। कभी बेल्लारी बंधुओं ने तो कभी पार्टी के ही समकक्ष नेताओं ने इनका विरोध शुरू कर दिया। भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भाजपा के बड़े नेताओं ने इनसे मु यमंत्री की कुर्सी छिन ली। इससे नाराज येद्दयुरप्पा ने ना ही केवल दल छोड़ा बल्कि नया दल कर्नाटका जनता पक्ष बनाया। इनकी पूरी कोशिश भाजपा को सत्ता से दूर करने की है। जिसका सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को होगा।
स्कैम
विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे ज्यादा प्रभावशाली रहते हैं। वैसे तो रोज-रोज केंद्र सरकार के नए-नए घोटाले सामने आ रहे हैं लेकिन कर्नाटक में बेल्लारी स्कैम, येद्दयुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप ने भाजपा की छवि को मटियामेट कर दिया है। खनन में घोटालों ने पूरे देश में हलचल मचा दिया। भाजपा की दागदार छवि का सीधा फायदा कांग्रेस को होगा। अपने दल में बिखराव को नहीं रोककर एक तरह से भाजपा ने कांग्रेस को वाक ओवर दे दिया।
कांग्रेस बनी विकल्प
लिंगायत समुदाय भाजपा का प्रमुख वोट बैंक है। लेकिन येद्दयुरप्पा के इसी समुदाय से होने की वजह से इस वोट बैंक में बिखराव हो गया। जिसकी वजह से लोगों में भ्रम की स्थित बनी रही। लोगों के सामने राजनीतिक विकल्प कांग्रेस ही दिखी। वैसे भी कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी कर्नाटक में बची है। भाजपा की दुर्गति ने कांग्रेस को विकल्प बनाया। कांग्रेस की होने वाली संभावित जीत भाजपा द्वारा दिया गया वाक ओवर और कोई विकल्प नहीं होना है। इसे कांग्रेस की किस्मत ही कहेंगे कि पूरे देश में जनाक्रोश झेल रहे दल को कर्नाटक में बैठे बैठाए सत्ता हासिल होने जा रही है। कांग्रेस ने इस चुनाव में किसी को मुख्यमंत्री तक पेश नहीं किया था। यहां तक कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने भी चंद सभाओं को संबोधित किया। इसके बावजूद कांग्रेस को सत्ता हासिल होने जा रही है।
भाजपा की हार के कारण
1. भाजपा उसी दिन हार की ओर बढ़ गई थी जब लिंगायत के सबसे ब़ड़े नेता बीएस येद्दयुरप्पा पार्टी से अलग हो गए थे।
2. लिंगायत मतों में विभाजन के कारण भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। आकलन है कि इसके कारण भाजपा को कम से कम 50 सीटों को नुकसान होगा।
3. भ्रष्टाचार को लेकर पाटी के अंदर ही लड़ाई, भाजपा में मौजूद कुछ लोग अभी भी मन से येद्दयुरप्पा के साथ थे।
4. सभी समुदाय को साधने की कोशिश में लगता है भाजपा किसी को पूरी तरह नहीं साध सकी। मुख्यमंत्री पद पर लगातार हुए बदलाव के कारण लोगों में भ्रम रहा।
5. वर्तमान मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार सात महीने के कार्यकाल में कुछ भी कर दिखाने मे नाकाम रहे।
कांग्रेस की जीत के कारण
1. भाजपा सरकार के खिलाफ सत्ताविरोधी लहर
2. भाजपा के मुख्य मतों का विभाजन
3. जनता दल एस का कर्नाटक के सिर्फ एक हिस्से दक्षिणी कर्नाटक में प्रभाव
4. पिछली सरकार में जदएस और भाजपा के बीच मोलभाव से परेशान लोग
5. किसी एक को मुख्यमंत्री घोषित न करना शायद पार्टी के लिए रहा फायदेमंद।