जयपुर। प्रसूताओं, शिशुओं एवं मरीजों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधाएं मिलने से कोटा जिले में भी भारी राहत मिल रही है। यह संभव हुआ है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की संवेदनशीलता के साथ शुरू की गई फ्लेगशिप योजनाओं की अनूठी पहल के कारण।
बात कोटा जिले की करें, तो मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा वितरण योजना से अप्रेल माह के अंत तक 31 लाख 93 हजार 451 रोगयों को लाभ मिला है। जिले के औषधि भंडार में 528 प्रकार की दवाइयां एवं यूजर्स उपलब्ध हैं। यह जिला प्रशासन की सजगता और चिकित्सा प्रशासन के सक्रिय प्रयासों का ही परिणाम है कि चिकित्सा संस्थानों पर आने वाले 93 प्रतिशत मरीजों को शत-प्रतिशत दवाइयां नि:शुल्क प्राप्त हो रही है। नि:शुल्क दवा योजना की सफलता का एक मापदण्ड यह भी है कि अब लाईफ लाइन ड्रग स्टोर एवं बाजार से दवाइयां खरीदने का प्रतिशत क्रमश: 2.56 एवं 4.44 प्रतिशत रह गया है।
इस योजना में ओपीडी में 30 लाख 63 हजार 458 एवं इन्डोर में 1 लाख 29 हजार 993 मरीजों को लाभान्वित किया गया। सहकारी संस्थानों में ओपीडी में 42.12 प्रतिशत तथा इन्डोर में 10.05 प्रतिशत मरीजों की वृद्घि दर्ज की गई है।
चर्चा करें नि:शुल्क प्रसव एवं प्रसूता व नवजात की स्वास्थ्य सुरक्षा की तो, यह तथ्य सामने आता है कि संस्थागत प्रसव जहां वर्ष 2011-12 में 22 हजार 557 था वहां उनकी संख्या वर्ष 2012-13 में अप्रेल माह के अंत तक बढ़कर 24 हजार 303 हो गई। निजी संस्थाओं एवं घरेलू प्रसवों की संख्या में कमी आई है। योजना में घर से संस्थान तक तथा 85 प्रतिशत उ’चतर संस्थानों को रैफर किये जाने वाले मरीजों को नि:शुल्क परिवहन की सुविधा का लाभ भी दिया जा रहा है। साथ ही कलेवा योजना में 98 प्रतिशत प्रसूताओं को गर्म व ताजा भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
बेटी बचाओ, कन्या भू्रण हत्या की रोकथाम तथा बेटी की जन्म के बाद से ही अ’छी परवरिश कर समस्त टीके लगवाने व उसे शिक्षा से जोडऩे जैसे उद्देश्यों के साथ 1 अप्रेल, 2013 से प्रारंभ की “ई शुभ लक्ष्मी योजना में 3 चरणों में ब’ची को 7 हजार 300 रुपये देने का प्रावधान किया “या है। जिले में योजना के प्रथम माह में ही 1492 संस्थागत प्रसव ने 712 बालिकाओं के प्रसव होने पर योजना के प्रथम चरण में बेटी के जन्म की राशि के रूप में 14 लाख 95 हजार 200 रुपये की सहायता उपलब्ध करायी गयी।
नि:शुल्क दवा की तर्ज पर 7 अप्रैल 2013 से प्रारंभ की गई मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना में जिले में अप्रेल माह के अंत तक 86 हजार 396 मरीजों की जांचें नि:शुल्क की गई। इनमें से चिकित्सा महाविद्यालय से सम्बद्घ चिकित्सालयों में 82 हजार 208 मरीजों की तथा रामपुरा चिकित्सालय में 4 हजार 88 मरीजों की जांच नि:शुल्क हुई।
गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले बीपीएल व स्टेट बीपीएल एवं अन्य चयनित परिवारों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रारंभ मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष योजना से राजकीय चिकित्सालयों में वि”त एक वर्ष में 2 लाख 65 हजार 656 रो”ियों को लाभान्वित किया गया। इनमें से 2 लाख 43 हजार 269 रोगयों का आउटडोर में तथा 22 हजार 387 रोगयों का नि:शुल्क इलाज किया “या।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की इन फ्लेगशिप योजनाओं का यह परिदृश्य स्पष्ट संकेत देता है कि जिले में कार”र हो रही इन योजनाओं का यहां के निवासियों को भरपूर लाभ मिल रहा है।