नई दिल्ली। इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सीबीआई ने नौ साल बाद बुधवार को अहमदाबाद की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट में यह कहा गया है कि इशरत जहां का एनकाउंटर फर्जी था। चार्जशीट में गुजरात पुलिस के डीआइजी बंजारा, जीएल सिंघल सहित अन्य अधिकारियों का भी नाम है। चार्जशीट दाखिल होने के बाद अब जांच एजेंसी गुजरात हाईकोर्ट में इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट बृहस्पतिवार को पेश करेगी। जानिये इस मामले में 2004 से अब तक अभी तक क्या-क्या हुआ:
1. 15 जून 2004 को अहमदाबाद में गुजारत पुलिस की क्राइम ब्रांच की इशरत और उसके चार साथियों के सथ मुठभेड़ हुई थी।
2. इस मुठभेड़ में इशऱत के साथ 4 लोगों को मौत के घाट उतारा दिया गया था।
3. उस मुठभेड़ के वक्त इशरत के साथ जावेद शेख, अमजद अली, और जीशान जौहर भी मौजूद थे।
4. गुजरात पुलिस का दावा था कि इशरत और उसके तीनों साथी मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने अहमदाबाद आए थे। नरेंद्र मोदी को निशाने पर बता कर यह मुठभेड़ की गई थी, हालांकि गुजरात हाईकोर्ट के देश पर गठित एसआईटी ने इस मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था।
5. कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने इस एनकाउंटर मामले की जांच शुरू की। इस एनकाउंटर केस में कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच की गई।
6. सी बी आई ने एक आरोपी को सरकारी गवाह भी बनाया।
7. इस एनकाउंटर केस में आई पी एस अधिकारी राजेंद्र कुमार की भूमिका की जांच शक के दायरे में रही है।
8. आई पी एस राजेंद्र कुमार अहमदाबाद में हुए मुठभेड़ के वक्त IB के संयुक्त निदेशक थे।
9. सीबीआई ने जांच के बाद दावा किय़ा है कि आईबी ने आतंकवादियों के अहमदाबाद में होने की सूचना दी थी और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की आशंका जताई थी। सीबआई का यह भी दावा है कि IB ने एनकाउंटर से पहले इशरत और साथियों से पूछताछ की थी और इसके बाद गुजरात क्राइम ब्रांच ने फर्जी एनकाउंटर में चारों को मार गिराया।
10. इस केस में गुजरात के एडिशनल डी जी पी पीपी पांडे की भूमिका भी शक के दायरे में। हालांकि पीपी पांडे ने अपने खिलाफ दायर FIR रद्द करने की गुजरात हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
11. इशरत जहां एनकाउंटर केस में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए गए थे, लेकिन फौरी तौर पर उन्हें राहत मिल गई है।
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“सरासर फर्जी थी इशरत जहा मुठभॆड” यह शीर्षक दॆकर खुद न्यायाधीश बननॆ का प्रयास ना करॆ, आप ऎक अच्छॆ पत्रकार है और पत्रकारिता की मर्यादाऒ का उल्लघन ना करॆ| यह ऎक नसीहत है आपकॆ लिऎ छॊटॆ भाई की तरफ सॆ|
केवल शीर्षक पढ कर प्रतिक्रिया न दीजिए, पूरी खबर पढिये, दूसरा ये कि अच्छा पत्रकार होने व उसकी मर्यादाओं के बादे में कम से अपनी सलाह अपने पास रखिए, पत्रकारिता के बारे में नसीहत देने के लिए आपको अगला जन्म लेना होगा