
उपमहापौर अजीत सिंह राठौड ने डॉ. मुखर्जी का जीवन परिचय देते हुए वर्तमान में उनके आदर्शो पर चलने की जरूरत को अतिआवश्यक बताया।
पूर्व राज्य मंत्री श्रीकिशन सोनगरा ने डॉ. मुखर्जी को राष्ट्रवाद का पुरोधा बताते हुए कहा कि जनसंघ की स्थापना उनकी दुरदर्शिता का धोतक थी। डॉ. मुखर्जी का बलिदान व उनकी जीवन यात्रा आज हमारे लिये प्रेरणादायी बन चुकी है। डॉ. मुखर्जी ने ‘एक देश-एक निशान-एक विधान’ की सोच को प्रबलता से मांग करते हुए कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए भारत माता के ताज की संज्ञा दी वो आज भी प्रासंगिक है।
महामंत्री धर्मेन्द्र गहलोत ने डॅा. मुखर्जी द्वारा देखे गये अखण्ड भारत के सपने को पूरा करना हर हिन्दूस्तानी का प्रण बताते हुए सभी आगंन्तुकों का आभार व्यक्त किया। संगोष्ठि में घीसू गढ़वाल, नरपत सिंह, आनन्द सिंह राजावत, कमला गोखरू, विनिता जैमन, विरेन्द्र वालिया, डॉ. कमल कान्त, रमेश मारू, सम्पत भाटी, सीमा गोस्वामी आदि सहित अनेक भा.ज.पा. कार्यकर्ताओ ने भाग लिया।
-जितेन्द्र कुमार मित्तल
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