भाजपा की जंग का अंत नहीं

संजीव पांडेय
संजीव पांडेय

-संजीव पांडेय- फिर से सूचना आयी है। एलके आडवाणी जी मानने को तैयार नहीं है। नरेंद्र मोदी के चुनावी तैयारी संबंधी ब्लूप्रिंट पर फिलहाल वो राजी नहीं है। 4 जुलाई को दिल्ली में चुनावी ब्लूप्रिंट को लेकर भाजपा नेताओं की बैठक हुई। लेकिन इस बैठक में कोई निश्चित फैसला नहीं हो पाया। मोदी के प्रस्ताव को आडवाणी ने सही तरीके से आम सहमति पर नहीं जाने दिया। दरअसल एलके आडवाणी कैंप ने फैसला ले लिया है। चुनावों तक वो नरेंद्र मोदी को परेशान करेंगे। ये परेशानी अखबारों के माध्यम से मोदी को परेशान करेंगी। ताकि जनता के बीच एक माहौल बने कि भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं है। इसका फायदा एलके आडवाणी को कितना होगा यह पता नहीं पर। पर नरेंद्र मोदी को नेतृत्व दिए जाने का फैसला कर चुकी भाजपा को नुकसान जरूर होगा।

सच्चाई तो यह है कि भाजपा की जंग शांत नहीं होगी। इस जंग में त्रिकोण बना है। इस जंग के एक पार्ट राजनाथ सिंह है। राजनाथ सिंह उतर प्रदेश में नरेंद्र मोदी के बढ़ते हस्तक्षेप से परेशान है। अमित शाह के लगातार नियंत्रण बढ़ते देख राजनाथ कैंप ने खेमेबंदी तेज कर दी है। अमित शाह लगातार उतर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर बैठकें कर रहे है। बताया जाता है कि राजनाथ सिंह पहले अमित शाह के प्रदेश प्रभारी बनाए जाने को लेकर परेशान थे। उन्होंने अमित शाह को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए। लेकिन नरेंद्र मोदी के दाव के आगे राजनाथ के दाव फेल हो गए। नरेंद्र मोदी ने चुनावी फंडिग का दाव खेल दिया। उन्होंने साफ तौर पर राजनाथ को कहा कि धन का जुगाड़ जितना यूपी में चाहिए अगर उतना राजनाथ कर देंगे तो अमित शाह की जगह कोई और प्रभारी बना दिया जाए। लेकिन यह नहीं हुआ। राजनाथ इस प्रस्ताव से परेशान हो पीछे हट गए।
नरेंद्र मोदी कैंप की परेशानी एक साथ कई है। बाहर अगर इशरत जहां एनकाउंटर ने उन्हें परेशान किया है, तो अंदर आडवाणी कैंप ने परेशान किया है। उधर उतर प्रदेश में राजनाथ सिंह कैंप अब मोदी को फेल करने में लग गया है। आडवाणी को लेकर परेशान नरेंद्र मोदी कैंप अब आडवाणी से आरपार की लड़ाई लड़ने को मूड में है। इस लड़ाई को लेकर अब एक कैंपेन करने की योजना है। इस योजना के तहत आडवाणी को विफल गृह मंत्री बताया जाएगा। साथ ही आडवाणी को संघ से धोखा करने संबंधी विवरण लाने की योजना है। दरअसल मामला 1999 की एक घटना को लेकर है। इस घटना के आधार पर मोदी कैंप अब आडवाणी को बूटा सिंह से भी कमजोर गृहमंत्री बताने में जुट गया है। करीब पांच एसी घटनाओं का विवरण मोदी कैंप ने जुटा रखा है जिसमें आडवाणी को असफल गृहमंत्री बताने का काम पूरा हो जाएगा।
मोदी कैंप के अनुसार एक विफल गृहमंत्री देश का प्रधानमंत्री बनने की योजना देख रहा है। 1999 में जब एनडीए की सरकार बनी थी उस समय नार्थ ईस्ट में आरएसएस के कुछ प्रचारकों का अपहरण हो गया था। संघ इस अपहरण के बाद परेशान हो गया था। बताया जाता है कि संघ ने लगातार दबाव एनडीए सरकार पर बनाया। लेकिन एनडीए की सरकार ने प्रचारकों को छुड़ाने में विफलता ही हासिल की। दो साल बाद इन प्रचारकों की हत्या कर दी गई। बताया जाता है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन प्रचारकों का लोकेशन ढूंढ लिया था। ये बांग्लादेश की सीमा में थे। तत्कालीन गृह सचिव ने एक फ्रूल प्रूफ योजना बनायी थी। इस योजना के तहत भारतीय कमांडों को बांग्लादेश सीमा में उतारने की योजना थी और आधे घंटे में इन्हें छुडाकर भारत लाने की योजना थी। लेकिन इस योजना की मंजूरी एलके आडवाणी ने नहीं दी थी। जबकि तत्कालीन गृह सचिव कमल पांडेय ने इस आपरेशन का ब्लूप्रिंट एलके आडवाणी को भेज दी थी। लेकिन कई दिनों तक फाइल के इंतजार में सरकार रही और बाद में इस आपरेशन की योजना को एलके आडवाणी ने रद्द कर दिया।
नरेंद्र मोदी कैंप ने इस तरह की कुछ और घटनाओं को सुनोयोजित तरीके से संघ के पदाधिकारियों के सामने रखा है। साथ ही कंधार विमान अपहरण में एलके आडवाणी की रवैये को लेकर भी नरेंद्र मोदी कैंप ने आडवाणी के खिलाफ मोर्चा खोलने का फैसला किया है। जिन्ना के मसले पर भी नरेंद्र मोदी कैंप पार्टी में तमाम तर्क रख रहा है। मोदी कैंप साफ तौर पर प्रचार कर रहा है कि आडवाणी जी ने जिन्ना को पाकिस्तान जाकर सेक्यूलर कहा, लेकिन लाहौर के किले पर राज करने वाले महाराजा रणजीत सिंह जिन्होंने गोवध तक प्रतिबंधित किया था, उनके बारे में एक भी शब्द नहीं कहा। धूर आडवाणी विरोधियों को पार्टी मे लाने की योजना चल रही है। यदूरप्पा को पार्टी में लाए जाने को लेकर माहौल बनाया गया है। यदुरप्पा पार्टी में आने को तैयार है। पर एलके आडवाणी को हाशिए पर लाने की शर्त पर। झारखंड में बाबूलाल मरांडी से बातचीत चल रही है। बाबू लाल मरांडी आडवाणी और राजनाथ दोनों के घोर विरोधी है। इस बातचीत को नरेंद्र मोदी कैंप हवा दे रहा है। ताकि आडवाणी और राजनाथ दोनों को चोट दी जाए।
दरअसल मोदी की समस्या अभी और बढ़ेगी। ये समस्या टिकटों के बंटवारे को लेकर बढ़ेगी। मोदी बिहार और उतर प्रदेश में टिकटों को अपनी मर्जी से बांटने चाहते है। लेकिन इस मर्जी में राजनाथ सिंह समेत कई नेताओं का नुकसान होगा। मोदी ने उम्मीदवारों की जीत को प्राथमिकता के आधार पर ही टिकट देने की बात 4 जुलाई को दिल्ली में आयोजित बैठक में की। लेकिन इस प्रस्ताव से उतर प्रदेश के नेताओं की चिंता बढ़ गई। क्योंकि इस खेल में उनके कई समर्थकों के टिकट कट जाएंगे। हालांकि मोदी को लेकर उतर प्रदेश भाजपा इस समय विभाजित है। प्रदेश के दो बड़े नेता कल्याण सिंह और कलराज मिश्र मोदी कैंप ज्वाइन कर गए है। वो मोदी को उतर प्रदेश से चुनाव लड़ाने की योजना में शामिल है। लेकिन सबसे सुरक्षित सीट को लेकर राजनाथ सिंह अड़े है। क्योंकि मोदी हार वाली सीट पर नहीं लड़ेंगे।  भाजपा की एकदम सुनिश्चित सीट लखनऊ है। यहां से खुद राजनाथ सिंह चुनाव लड़ना चाहते है।
बताया जाता है कि भाजपा में राष्ट्रीय संगठन मंत्री के लिए भी जंग तेज है। रामलाल को हटाकर सौदान सिंह को बनाए जाने की तैयारी चल रही है। रामलाल को लेकर एलके आडवाणी नाराज है। सौदान सिंह का नाम फिलहाल चर्चा में है। लेकिन सौदान सिंह एलके आडवाणी के लिए मुफीद होंगे या राजनाथ सिंह की तरह घातक होंगे यह समय बताएगा। एलके आडवाणी ने कुछ इसी तरह से नितिन गडकरी को हटाए जाने की मांग की थी। संघ ने एलके आडवाणी के दाव को उल्टा करते हुए गडकरी से ज्यादा खतरनाक राजनाथ सिंह को अध्यक्ष बना दिया। आडवाणी ने राजनाथ सिंह का पूरा खेल गोवा कार्यकारणी में देख लिया। राजनाथ सिंह से आडवाणी कितना नाराज है इसे खुद सुधींद्र कुलकर्णी के ब्यानों में देखा ज सकता है।
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