जोधपुर। एबीपी न्यूज पर एक नया शो ‘प्रधानमंत्री’ शुरू हुआ है। ये शो हर शनिवार और रविवार को रात दस बजे दिखेगा। इस शो के होस्ट शेखर कपूर का कहना है कि इसमें आज के भारत की ऐसी घटनाएं होंगी, जो बड़े बदलाव और घटनाओं के शोर में दब जाती हैं।
शेखर यह भी कहते हैं कि मुमकिन है कि इस शो से विवाद पैदा हो, लेकिन इस शो में बनते भारत की पूरी कहानी पेश करने की कोशिश की गई है।
आम तौर पर इतिहास की पुस्तकों में सभी घटनाओं का समावेश नहीं मिलता। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और भारत विभाजन, इतिहास की ऐसी युगांतकारी घटनाएं हैं जिनके हर पहलू की रोचकता का हर कोई अनुभव करना चाहता है।
इतिहास की ऐसी ही गुमशुदा रोचक घटनाओं को कड़ियों में पिरोकर समाचार चैनल एबीपी न्यूज अपने ‘प्रधानमंत्री’ कार्यक्रम में प्रस्तुत करने जा रहा है। हर शनिवार रात 10 बजे प्रसारित होने जा रहे इस कार्यक्रम में विभाजन के बाद से देश के 65 वर्षो के इतिहास को समेटा गया है।
पहले ही शो में विवाद
आजादी के बाद भारतीय गणराज्य के गठन को लेकर फिल्मकार शेखर कपूर के टीवी सीरियल ‘प्रधानमंत्री’ में दिखाई गई मारवाड़ की छवि से पूर्व राजघराना और इतिहासविद खफा हैं। रविवार रात चैनल पर प्रसारित इस सीरियल में बताया गया है कि मारवाड़ के तत्कालीन महाराजा हनवंतसिंह मुहम्मद अली जिन्ना से प्रभावित होकर पाकिस्तान में विलय चाहते थे।
इतिहासविदों (जेएनवीयू के पूर्व कुलपति एलएस राठौड़ भी शामिल जो सीरियल में एक्सपर्ट के तौर पर कमेंट कर रहे थे।) को इसी बात पर घोर आपत्ति है कि ऐसा कभी हुआ ही नहीं। हनवंतसिंह ने तो न केवल माउंटबेटन बल्कि जिन्ना को भी कह दिया था कि मारवाड़ हिंदुस्तान का ही हिस्सा रहेगा। सीरियल में उन तथ्यों को तोड़-मोड़ कर दिखाया गया है।
क्या दिखाया सीरियल में
हनवंतसिंह ने सरदार वल्लभ भाई पटेल से कहा था कि मारवाड़ का व्यापारिक केंद्र कराची है और जिन्ना उन्हें ज्यादा सहूलियतें दे रहे हैं। इस पर पटेल ने हनवंतसिंह ने चेतावनी देते हुए कहा कि वे उनके पिता उम्मेदसिंह के दोस्त रहे हैं। यदि हनवंतसिंह सही फैसला नहीं ले पा रहे हैं तो उन्हें (पटेल को) उनके पिता की भूमिका में आना पड़ेगा। इसके बाद हनवंतसिंह राजी हुए, मगर जब कांस्टीट्यूशनल एडवाइजर वीपी मेनन ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को कहा तो उन्होंने उन पर पिस्टल तान दी थी।
महाराजा तो अमरकोट को भी मिलाने के पक्षधर थे
इस सीरियल में दिखाए गए तथ्य सच्चाई से परे हैं। तोड़-मोड़ कर दिखाए गए संवादों पर मारवाड़ को ऐतराज है। महाराजा हनवंतसिंह तो पाकिस्तान में स्थित अमरकोट को भी भारत में मिलाना चाहते थे, वह भी मारवाड़ स्टेट का हिस्सा ही था। मारवाड़ के पाकिस्तान में विलय करने की मंशा जताना बिल्कुल ही गलत है। जिन्ना से महाराजा की मुलाकात हुई थी, मगर उन्होंने अपना रुख साफ कर दिया था कि वे हिंदुस्तान में ही रहेंगे।
महेंद्रसिंह नगर, महानिदेशक, मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट।
मेरे वक्तव्यों को सही नहीं दिखाया
शेखर कपूर ने इस सीरियल पर मुझसे बात की थी और उसके कुछ अंश प्रसारित भी हुए। मगर मैने कभी यह नहीं कहा कि हनवंतसिंह मारवाड़ को पाकिस्तान में विलय करना चाहते थे। इतिहास के मुताबिक 28 जुलाई 1947 को माउंटबेटन के लंच में बड़ौदा महाराजा व हनवंतसिंह शामिल हुए थे। उस वक्त भी उन्होंने साफ कर दिया था कि मारवाड़ हिंदुस्तान में रहेगा, पाकिस्तान में नहीं जाएगा।
प्रो.एलएस राठौड़, पूर्व कुलपति, जेएनवीयू।
संबंधित वीडिया क्लिप इस लिंक पर देखिए- http://youtu.be/S_3i0Hf8KMI
http://news4rajasthan.com से साभार