वाशिंगटन। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी अगर सत्ता में आते हैं तो भारत और अमेरिका के संबंधों में किसी प्रकार के बदलाव की संभावना नहीं है बल्कि ये संबंध और मजबूत होंगे। दो शीर्ष अमेरिकी विद्वानों ने यह बात कही है।
गैरलाभकारी संस्था कार्नेगी एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस से जुड़ेएश्ले टेलिस ने कहा कि अगर मोदी प्रधानमंत्री बने तो मुझे नहीं लगता है कि संबंधों में कोई भी बदलाव आएगा। बल्कि इस बात की संभावना ज्यादा है कि आज के मुकाबले संबंध ज्यादा प्रगाढ़ होंगे।’ टेलिस ने भारत-अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु करार में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के कार्यकाल में द्विपक्षीय संबंधों में वाकई प्रगति हुई थी। भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कई मायनों में 1998 से 2004 के दौरान उस प्रगति का फायदा मिला। अगर भाजपा सत्ता में वापसी करती है तो मैं उम्मीद करता हूं कि वे इस परंपरा को कायम रखेंगे क्योंकि कई मायनों में अमेरिका के प्रति भाजपा का रुख प्रधानमंत्री सिंह की तरह सहयोगी है। इसलिए अगर भाजपा सत्ता में आती है तो संबंधों में किसी प्रकार की बाधा मुझे नहीं दिखती।
कार्नेगी से जुड़े मिलन वैष्णव ने कहा, मनमोहन सिंह की यात्रा से संप्रग सरकार को एक बात की तो उम्मीद है कि वह अपने भाजपा के बीच अंतर को बता पाएंगे क्योंकि भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार तो देश में प्रवेश ही नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि अमेरिका भले ही मोदी को वीजा न देने की नीति पर कायम हो, लेकिन अगले साल गुजरात के मुख्यमंत्री के प्रधानमंत्री बनते ही समीकरण बदल जाएंगे। मुझे लगता है उन्हें अमेरिका आने की अनुमति दी जाएगी और अमेरिका के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंध होंगे। उन्होंने कहा कि जिस कानूनी प्रावधान के तहत मोदी को वीजा देने पर रोक लगाई गई है जहां तक मैं समझता हूं यह किसी सरकार के प्रमुख पर लागू नहीं होता।