गोवर्धन पूजा के साथ दीवाली की राम राम का चला दौर

diwaliअजमेर। दीपावली के दूसरे दिन मान्यता के मुताबिक गोवर्धन पूजा का चलन पुरातन काल से चला आ रहा है। गोवर्धन पूजन मारवाडी लोग सुबह के वक्त करते हैं। तो यूपी और बिहार की संस्कृति के अनुसार शाम के वक्त गोवर्धन की पूजा की जाती है। मारवाडी महिलाएं घरों के बाहर एकत्र होकर गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा अर्चना करती है। गोबर से बनाये गये गोवर्धन को खील पताशों से सजाया जाता है। इसके बाद विभिन्न पकवानों का भोग लगाकर पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार पुरातन काल से इस त्योहार को मनाने की प्रचलित कथा का वर्णन भी महिलाएं करती है। जिसके मुताबिक द्वापर में भगवान इंद्र ने गोकुलधाम पर अतिवृष्टि कर सारे ग्वाल बालो को अपने कोप का शिकार बनाना चाहा तब भगवान कृष्ण ने अपनी तर्जनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ग्वाल बालो की रक्षा की और इंद्र का अभिमान चूर-चूर कर दिया। तब से ही बृजवासी गोवर्धन पूजा करते आ रहे है। पूजन के पश्चात् छोटे अपने बडो से आशिर्वाद लेते है। वहीं महिलाएं आपस में गले मिलकर एक-दूसरे को बधाईयां देती है। इस मौके पर महिलाएं भगवान के निमित बधावे भी गाती है।
गोवर्धन पूजन के पश्चात घरो में अन्नकुट का प्रसाद बनाया जाता है। परम्परा के मुताबिक सर्दी के आगमन पर पैदा होने वाले पहले धान और फसलों सहित सब्जीयों को भगवान के निमित अर्पित करते हुए पचकुटे का प्रसाद निर्मित किया जाता है और शाम को पूजा अर्चना के बाद इस प्रसाद का वितरण किया जाता है।

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