रक्षा के संकल्प के साथ मनाया भाईदूज का पर्व

bhaidoojअजमेर। बहनो को साल में दो दिनो का बडी बेसब्री से इंतजार रहता है। एक रक्षा बंधन और एक भाईदूज। भाईदूज का पर्व मनाने के लिए शादीशुदा बहने अपने ससुराल से सजधज कर भाई का तिलक करने के लिए पीहर पहुॅचती है। बहने नारियल, मिष्ठान, रोली, मोली से थाल सजाकर भाई के माथे पर तिलक लगाकर रक्षा का वचन लेती है। इसके बाद भाई अपनी बहनो को सुंदर-सुंदर उपहार देकर विदा करते है। हिन्दू धर्म में भाई बहन के प्रेम का ऐसा त्योहार रिश्तो को मजबूती देता है। आज की इस भागमभाग की जिंदगी में जहंा त्योहारो का वर्चस्व कम सा होता जा रहा है। वहीं कुछ पुरातन त्योहार इस परंपरा को जीवित रखे हुए है। भाईदूज के मद्देनजर लगभग सभी घरो में उत्सव का माहौल बना रहा। कई बहने तो बरसो बाद अपने भाईयों से मिली। दीपावली का त्योहार ऐसा है जब भाग दौड भरी जिंदगी से लगभग सप्ताहभर का समय निकालकर घर से दूर रह रहे लोग अपने घरो पर आते है और पांच दिनो तक परिजनो के साथ फेस्टीवल की मस्ती में सारे कामकाज भूलकर परिवार के साथ मौज मस्ती और आनंद का अनुभव कर पाते है।
केन्द्रीय बस स्टेण्ड और रेलवे स्टेशन पर भारी संख्या मंे महिलाओ की भीड़ अपने भाईयो से मिलने जाने के लिए लगी हुई थी। अपने भाईयो से भाईदूज पर मिलने को बेताब बहनो ने अपने विचार प्रकट करते हुए बताया।

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