हाईदौस खेल कर, डोले शरीफ को किया सेराब

haidaus02अजमेर। मरतबा हाईदोस खेलने के लिए जिला इंतजामिया की जानिब से पंचायत अंदरकोटीयान को 100 तलवारो की इजाजत दी थी और हाईदौस खेलने के लिए पुलिस के मालखाने से तलवारे फरहाम कराई थी। लेकिन इजाजत से कहीं ज्यादा लोगो ने हाईदौस खेली बडी तादाद में बच्चो ने भी हाईदौस खेली। गौरतलब है कि इंतजामिया हर साल अंदरकोटियो को हाईदौस खेलने के लिए अपनी जानिब से हिदायत देता है। आशुरा पर खेली गई हाईदोस की खास बात ये रही कि ये हाईदौस पुरसुकुन रहा। हाईदोस के पुरसुकुन रहने के सबब जिला और पुलिस इंतजामिया के साथ-साथ अंदरकोटियो ने भी राहत की सांस ली। गौरतलब है कि हाईदोेस को पूर सूकून बनाने के लिए पुलिस इंतामिया के जानीब से दर्जनो अंदरकोटियो को अमनो अमान बनाने रखने के लिए पाबंद करने की कार्यवाही की गयीं साथ ही तलवारे देते वक्त भी हलफनामे लिये गये। इस मरतबा हाईदौस केा लेकर बच्चो मे खासा जोश था। हाईदौस शुरू होने के कुछ लम्हों बाद इंतजामिया की जानिब से बिना नंबर लिखी तलवारे जब्त करनी की बात को लेकर हाईदौस रोक दी गई, बाद में पंचायत के हौदेदारों और पुलिस के दरमियान बातचीत के बाद वापस हाईदौस शुरू हुआ। हाईदौस में तीन पुलिस वाले भी दौराने हाईदौस, हाईदौस खेलने वाले के दरमियान जाने के सबब जख्मी हो गये।
हाईदौस के लिए नौजवानो का जज्बा देखते ही बनता था। इन जोशीले नौजवानो ने बुर्जुगो के साथ बडे जोश से हाईदौस में अपने हाथ दिखाये। हाईदौस के दौरान इंतजामात की कमान सिटी मजिस्टेªट जनाब गजेन्द्र सिंह राठौड़ और एडीशनल एसपी जनाब तेजराज सिंह और एएसपी डाॅ. राजू पचार ने अपने हाथो में रखी। हाईदौस के इंतजामो के लेकर तेजराज सिंह और डाॅ. राजू पचार बेहद संजीदा नजर आए। हाईदौस के लिए पुलिस का बडा भारी जाप्ता तैनात किया गया था। कई मकामात पर राईफलधारी पुलिस भी गश्त करती नजर आई। हाईदौस के साथ-साथ दरगाह सीओ अनिल सिंह, दरगाह सीआई विजय सिंह चैधरी, सीआई हनुवन्त सिंह भाटी समेत दरगाह थाने का अमला भी चल रहा था। हाईदौस से कब्ल फनेसिपागिरी के करतब भी दिखाये गये। ढोल ताशो के साथ मातम भी हुआ। डोले की सवारी हुई। डोले के आगे मर्सिया पार्टीयो ने ईमाम हुसैन की शान में सलाम और मातमी मर्सिये पढे। अंदरकोट पंचायत ने अपने कारकूनो, ओहदेदारो और जिला इंतजामिया, पुलिस इंतजामिया के अफसरान समेत सियासी रहनुमाओं की भी दस्तारबंदी की।
haidausहाईदौस देखने के लिए हजारो की तादाद में शहरभर के लोग जमा हुए। कहीं तिल धरने की जगह भी ना थी। हाईदौस के रास्ते मंे आने वाले तमाम घरो की छतो पर औरतो और बच्चो के साथ-साथ हाईदौस देखने वालो के हुजुम नजर आए। हाईदौस को तकरीबन 25 से 30 हजार अफराद ने देखा। खेलने वालो की तादाद भी सैकडो में थी। जिन रास्तो से हाईदौस गुजरी उस रास्तो में तबर्रूकात और शरबत तकसीम किया गया। गौरतलब है कि शौहदाय करबला की याद में शरबत कसरत से बनाया जाता है और शरबत को यौमे आशुरा के दिन सबसे अच्छा तबर्रूक माना जाता है। शरबत शौहदाय करबला की प्यास की याद में बनाया जाता है और हर शख्स शरबत पीकर शाहे करबला को याद करता है। किसी शायर ने क्या खूब कहा पानी पीयो तो याद करो प्यास ईमाम की। प्यासो ये सबील है शहीदो के नाम की। इसी जज्बे के साथ सबाब कमाने के मकसद से दौरान-ए-हाईदौस कई नौजवानो ने अपने कंधो पर मशक रखकर लोगो को शरबत और पानी पीलाया।

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