मिशनरी स्कूलो द्वारा नियमो की अवहेलना

schoolसुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों तथा अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय/विभाग के तथा आर.टी.ई. कानून मे स्पष्ट प्रावधान तथा स्पष्ट निर्देश है कि अल्प संख्यक समुदाय के तहत संचालित स्कूलो जिनमे मिशनरी स्कूल भी आती हैं, इनमे कानूनन 100 प्रतिशत स्टाफ अल्पसंख्यको का होना चाहिए । कानूनन यदि 100 प्रतिशत उपलबध नही हो तो स्टाफ एवं प्रशासनिक प्रबन्धक कारण बताते हुए अन्य समुदाय से इनमे भर्ती की जा सकती है। लेकिन इसके लिए विधिक कारण मान होने चाहिए। माननीय सुप्रीम कोर्ट तथा सरकार के आदेशों के अनुसार किसी भी विद्यालय मे 50 प्रतिशत अभिभावकों एवं विद्याथर््िायों के साक्षात्कार लिए जाने के लिए सखती से पाबन्दी लगाई हुई है।
इस सम्बन्ध मे अजमेर के सेन्ट एन्स्लम विद्यालय मे पिछले 3-4 दिन से नियमित साक्षात्कार हो रहे है तथा वहां की अभिभावक परिषद मेे भी नियमानुसार 50 प्रतिशत अभिभावक अल्पसंख्यक समुदाय से नही है।
सेन्ट एन्स्लम स्कूल के द्वारा बर्ती जा रही अनियमितता के रूप मे पूर्व युवक कांग्रेस अध्यक्ष श्री गुलाम मुस्तफा व पूर्व उपाध्यक्ष डा. सुरेश गर्ग ने इसमे प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि यदि सेन्ट एन्स्लम स्कूल मे इसी प्रकार अनियमिततायें चलती रही तो प्रदेश की मुख्यमंत्री के फरवरी माह मे अजमेर आगमन पर उन अधिकारियों के खिलाफ मुख्यमंत्री के सामने विरोध जताया जायेगा।
उक्त कार्यवाही करने से पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी प्रथम को तथा अल्प मामलात विभाग को बार-बार  व लिखित व मौखिक रूप से बार-बार चेताया जा चुका है। परन्तु उनकी सरपरसती मे अनियमितता की जा रही है। अल्प संख्यक मामलात विभाग द्वारा जारी अधिनियम की धारा 2 जी के अन्तर्गत अल्प संख्यक दर्जा लेने के लिए आवश्यक है कि वह संस्था जिसके नाम से दर्जा लिया है। स्वयं की भूमि जमीन होनी चाहिए। जबकि आयोग को गुमराह कर स्वयं की जमीन बताई जो नगर निगम, अजमेर की लीज डीड पर थी, जिसकी लीज डीड खत्म हो चुकी है।  क्यों ना इसका अल्प संख्यक दर्जा समाप्त किया जाये।
साथ ही इन विद्यालयों में कक्षा अनुपात के अनुसार 50 प्रतिशत अल्प्संखयक छात्रों कि उपस्थिति अनिवार्य है। इसके साथ ही एक मुश्त फीस न ली जाकर मासिक फीस ली जानी चाहिए। विद्यालय कि प्रशासनिक कमिटी में भी 50 प्रतिशित से अधिक सदस्य अल्प्संखयक वर्ग से होने चाहिए। साथ ही अल्प्संखयक समुदाय के गरीबी रेखा से नीचे वाले छात्रों 25  प्रतिशत के हिसाब से निशुल्क पढ़ाया जाएगा। यह अल्प्संखयक दर्जा लेने के मुख्य मापदंडों में शामिल है। जिनकी मिशनरी स्कूलो द्वारा खुलेआम अहवेलना कि जा रही है। जबकि विद्यालय के मुख्य द्वार पर अल्प्संखयक दर्जा लेने के मुख्या नियम-कायदे वैधानिक रूप से पट्टीका पर साफ़ अक्षरों में लिखना अनिवार्य है।  जिससे अलपसंख्यक वर्ग के छात्रों व अभिवावकों को विद्यालय के अल्प्संखयक दर्जे से होने वाले फायदों कि जानकारी मिल सके। यही सरकार कि भी मंशा है।
श्री गुलाम मुस्तफा ने इस सम्बन्ध मे तुरन्त भौगोलिक सत्यापन के साथ जाँच कर प्रशासनिक प्रसंज्ञान लेने की मांग की है।
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