केकडी मे ब्याजखोरो के चंगुल मे सैंकडो लोग

kekri samacharकेकडी। बदलती जीवन षैली का दबाव और हर हाल मे पुरी करने की होड मे नगर के लोग ब्याजखोरो के चंगुल मे फंसे है। गैरउत्पादक कार्यो के लिये बैंक ऋण देने वाली अन्य संस्थाओ से निराष लोग निजी स्तर पर लेकिन उंची ब्याज दरो पर कर्ज देने वालो की षरण मे पहुंच जाते है। कर्ज लेते समय लोग ब्याजखोरो की षर्तो की अनदेखी कर जाते है लेकिन बाद मे वे षर्ते ही कर्जदारो के गले का फंदा बन जाती है। ब्याजखोरो के खिलाफ मारपीट,जानलेवा हमले,प्रताडित करने,जान से मारने की धमकी आदि के अनेक मामले पुलिस थाने मे दर्ज है। जानकारी अनुसार उधोग-धंधो व व्यवसाय मे प्रगति के अलावा क्षेत्र मे जमीनो का धंधा भी तेजी से बढा है। जमीनो व संपतियो की कीमतो मे रातोंरात बढोतरी के चलते हर सक्षम व्यक्ति प्रोपर्टी डीलिंग मे लगा है। ऐसे मे पैसो का लेनदेन भी बढा है। दुसरी और समृद्धि आने से जीवन षैली भी बदल रही है और जरुरत व इच्छाओ मे भेद मिटता जा रहा है। नतीजन कही से भी रकम का जुगाड कर रातोंरात अमीर बनने की होड और दुसरी तरफ ऐसी कमाई से अमीर बने लोगो की ब्याज कमाने की लालसा एक ऐसे धंधे को जन्म देती है जहां न कोई कायदा है न कानुन। कर्ज लेने वाले की जरुरत ही कर्ज की षर्ते और नियम तय करती है। ब्याजखोर पीडित से खाली चैक,खाली स्टाम्प,सादे कागज पर राषि उधार लेते है। ब्याज दर एक रुपये सैंकडा नही होकर दस रुपये सैंकडा से तीस रुपये सैंकडा तक भी हो सकती है। ऐसे मे कोई भी व्यक्ति इनके चंगुल मे एक बार फंस जाये तो बाहर निकलने की बजाय खुद व अपने परिवार को भी बर्बाद करता चला जाता है। नगर मे बदलती जीवन षैली मे मौज मस्ती करने के लिये युवा भी इन ब्याजखोरो की गिरफत मे आ चुके है। युवा अपने मौज मस्ती के लिये इन ब्याजखोरो से उंची ब्याजदर पर रुपये ले लेते है और वापिस नही चुकाने पर मारपीट व गाली गलौच करना आम बात हो चुकी है जिससे षिक्षित युवा वर्ग अपराध के चंगुल मे फंस चुके है।

प्रोपर्टी से अमीर बनने की चाह-
नगर मे प्रोपर्टी बाजार से सैंकडो लोग व नौजवान युवक अमीर बनने की लालसा मे इन दिनो अनेक लोग लगे हुए है। गौरतलब है पिछले तीन चार साल से केकडी क्षेत्र मे प्रोपर्टी की कीमतो ने आसमान को छु रखा। इन प्रोपटी से अनेक लोगो के अमीर बनने की लालसा ने इन ब्याजखोरो से रुपया लेने की मजबुरी कर दी जिससे अनेक लोग इनके चंगुल मे फंस चुके है। नगर सहित आसपास के क्षेत्र मे सैंकडो षिक्षित बेरोजगार व नौजवान युवक इस धंधे से करोडपति बनने का सपना देखने लगे है। और करोडपति बनने के चक्कर मे युवा ब्याज पर पैसे लाकर प्रोपर्टी मे लगा देते है जिससे अगर प्रोपर्टी मे घाटा हो जाता है तो वो बर्बाद हो जाते है। ऐसे मे करोडो रुपये उधार होने पर तनाव मे आकर मौत को गले लगा लेते है या घर छोडकर ब्याज पर पैसे देने वाले उंचे रसुख वाले होते है जिससे उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही होती।

मजबुरी तय करती है ब्याज दर-
नगर मे ब्याज के नाम पर पैसा देने का धंधा जोर पकडता जा रहा है। मनमाने तरीके से पैसा ब्याज दर पर दिया जा रहा है। एक से तीन रुपये सैंकडा पर ब्याज दर पर उधार लेने वाला व्यक्ति किसी तीसरे व्यक्ति को दस से बीस रुपये ब्याज दर पर राषि उधार दे रहे है। ऐसा धंधा भी चल रहा है। और इस तरह नगर मे ब्याजखोरो का धंधा फलता फुलता जा रहा है। मदद करने के नाम पर

फंसाते है लोगो को-

मनोज गुर्जर
मनोज गुर्जर

मनमाने ढंग से पंाच से दस प्रतिषत पर उधार देने वाले ब्याजखोर लोगो को मदद करने के नाम पर अपने जाल चढातेमे फंसाते है। और लोग अपनी जरुरतो को पुरा करने के लिये ब्याज पर राषि उधार देते है। पीडित से चैक लेकर उसके पैसे नही देने पर उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिये धमकाना षुरु कर देते है। ब्याज की राषि नही देने पर मनमाने ब्याज चढाते चले जाते है और वह व्यक्ति और उसके परिवार वालो को बर्बाद कर देते है।

कई है परदे के पीछे
इस पैसे के खेल मे कई कारोबारियो का पैसा लगा हुआ है जो परदे के पीछै है। इस पैसे के खेल मे युवा व कम आय वर्ग के लोग ज्यादा उलझे हुए है। एक व्यक्ति ने नाम न छापने की षर्त पर बताया की इस तरह के खेल मे षामिल लोग पैसा देकर अधिक ब्याज वसुलने की ताकत रखते है। वही पैसा डुबने से बचने के लिये ज्यादातर मामले मे गारंटर रखते है,नही तो चैक तो होता ही बैंक मे डालकर थाने भी जाया जा सकता है।

बिना लिखा पढी का खेल
यह पुरा खेल बिना पढी लिखी के होता है। नया कर्जदार आता है तो उससे खाली चैक लेकर अपने पास रख लेते है। पैसे लेने वाले का हर महीने जाकर ब्याज की राषि देनी पडती है। अनेक ब्याजखोर तो पर पैसा नही डुबे इसके लिये खाली चैक के साथ गारंटर भी लेते है।

इनका कहना है
उंची ब्याज दर पर पैसा देना गलत है। और ब्याजखोर अगर किसी को परेषान करते है,प्रताडित करते है तो ऐसे लोगो को सामने आकर थाने मे रिपोर्ट लिखवानी चाहिए जिससे की ब्याजखोरो को खिलाफ कानुनी कार्रवाई की जा सके। आत्महत्या जैसा कदम नही उठाना चाहिए
विजय षंकर षर्मा,थानाधिकारी केकडी
केस-1
नगर मे मंगलवार को डोराई मार्ग निवासी ओमप्रकाष साहु ने ब्याजखोरो से परेषान आकर फांसी लगा ली। ओमप्रकाष के जेब से मिले सुसाइड नोट मे उसने लिखा की ब्याजखोर उससे तीस रुपये सैंकडा तक ब्याज वसुलने लगे और ब्याज नही देने पर प्रताडित करने लगे जिससे तनाव मे आकर आत्महत्या कर ली।
केस-2
इसी तरह एक व्यक्ति ने वायदा कारोबार मे घाटा होनेे पर उंची ब्याज दर पर लाखो रुपये उधार लिये लेकिन अधिक घाटा होने के कारण ब्याज के पैसे नही चुका पाया और नतीजन उसे घर छोडकर बाहर जाला पडा।
केस-3
इसी तरह चार पांच साल पहले पास के गांव के एक व्यक्ति ने लोगो से उंची दर पर लाखो रुपये उधार लेने पर वह पैसा नही चुका पाया जिससे उसे बाहर जाना पडा और उसकी दुकान व मकान बेचने के बाद भी उसके उधार के पैसे नही चुक पाये।
-मनोज गुर्जर

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