देश की सांस्कृतिक नीति बनाई जाये

DSC_1601DSC_1609DSC_1596अजमेर। अखिल भारतीय चारण सभा में आज देश काल परिस्थितियों पर विचार-विर्मश कर देश की संस्कृति नीति घोषित करने की मांग की है। चारण सभा नें सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर कहा कि भारत सुसंस्कृत भव्य एवं दिव्य राष्ट्र है। विद्वतजन मानते हैं कि राष्ट्रीयता के सद्गुण की रक्षा एवं संवर्धन का प्रथम दायित्व शिक्षा एवं संस्कृति का होता है। शिक्षा का उच्चतम ध्येय राष्ट्रीयता का स्वाभिमान और राष्ट्रीय चरित्र का उदात्त भाव हों। सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा साहित्य के माध्यम से होती है। साहित्य की रक्षा एवं संवर्धन तभी संभव होता है कि जब साहित्य और साहित्यिक संस्कृति से जुडे़ हुए लोगों की सोच की रक्षा एवं संवर्धन हो।
1. भारत में शिक्षा प्राथमिक मातृभाषा में दी जाए जिससे शिक्षा के प्रसार, व्यापकता और साक्षरता के राष्ट्रीय लक्ष्य को सरलता से हासिल किया जा सके।
2. भारत में शिक्षा राष्ट्रीयता का स्वाभिमान और नागरिक के व्यवहारिक, दैनिक जीवन में राष्ट्रीय चरित्र को मजबूत करने में सहयोगी बने तथा भारतीय पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय मूल्यों को जीने वाले विरल महापुरूषों के जीवन-चरित्र को समाहित किया जाये। इससे हमारी नई पीढी के जीवन मूल्यों में राष्ट्रीय मूल्य स्थापित कर सकेगें।
3. भारत में साहित्यिक सोच की अमूल्य परम्पराओं को जीवन आधार बनाने वाली जातियां, समूहों, वर्गों के राष्ट्रीय योगदान को महत्व देने वाले ठोस कदम उठाऐं। इससे भाषा, साहित्यिक मूल्यों की रक्षा की जा सकेगी।
4. भारतीय साहित्य, चिंतन, कला और सांस्कृतिक मूल्यों को जो विभिन्न भाषाओं में सृजन हुआ हो वह अन्य राज्यों एवं अन्य देशों तक पहुंचे और इससे भारतीयता सम्मानित होगी।
5. भारतीय संस्कृति के शाश्तव मूल्यों की रक्षार्थ राष्ट्रीय स्तर पर एक ’’राष्ट्रीय सांस्कृतिक नीति’’ बनाई जाए। जिससे भारतीय संस्कृति के मूल्यों की व्यापकता लाई जा सके।
6. भारतीय विश्व शांति एवं मानवता की दृष्टि से विश्व की आस्था का केन्द्र रहा है परन्तु भारत स्वयं अपनी लोक आस्थाओं की रक्षा में उदासीन रहा है। हमारी लोक आस्थाओं के लोक-पूज्य देवी देवताओं, लोक, साहित्य, लोक संगीत, लोक कला, लोक मान्यताओं की रक्षा एवं संवर्धन में राष्ट्र सकारात्मक निर्णय ले इससे लोक जीवन मूल्य रक्षित होगें।
आज के सम्मेलन में विभिन्न सत्रों में अखिल भारतीय चारण सभा के अध्यक्ष श्री सी.डी. देवल, कार्यकारी अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत, पद्मश्री सूर्यदेव, पद्मश्री सी.पी.देवल, पद्म डॉ. वी.डी. कविया भवानी सिंह देथा (आई.ए.एस.), भंवर सिंह चारण, अश्विनी कुमार खिडिया, ओम पलावत, सरोज लखावत, गोपाल दान (आर.टी.ओ.), कल्याण सिंह जयपुर, महेन्द्र सिंह जयपुर, मोतीदान, सज्जन सिंह आदि उपस्थित थे।
भंवर सिंह चारण
संयोजक
9413334499
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