
(2) क्या यह सही है कि विधि महाविद्यालय, अजमेर को बार कोंसिल ऑफ इण्डिया से स्थाई मान्यता नहीं मिली है एवं मान्यता नहीं मिलने के प्रमुख कारणों मे से एक कारण व्याख्याताओं की कमी होना है ? यदि हां, तो लम्बे समय से प्रतिनियुक्ति पर चल रहे व्याख्याताओं की प्रतिनियुक्ति निरस्त नहीं करने के क्या कारण हैं ? विवरण सदन की मेज पर रखें ।
उत्तर 1 जी नहीं।
1. विधि महाविद्यालय, अजमेर में कोई व्याख्याता प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत नहीं है।
2. विधि महाविद्यालय, अजमेर के मात्र एक व्याख्याता श्री आर.एस.पाराशर, शिक्षा (ग्रुप-4) विभाग, शासन सचिवालय जयपुर में दिनांक 25.02.05 से प्रतिनियुक्ति पर है, आदेश की प्रति परिशिष्ठ-‘1’ पर संलग्न है।
उत्तर 2 जी हां।
उक्त महाविद्यालय में व्याख्याताओं की कमी, मान्यता नहीं मिलने का प्रमुख कारण नहीं है, अपितु बार कौंसिंल ऑफ इण्डिया ने विधिक शिक्षा नियम, 2008 की अनुपालना में 30.04.10 की मीटिंग में एक प्रस्ताव पारित कर स्थाई या डीम्ड मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों को भी पुनरू निरीक्षण करवाने हेतु निर्देशित किया। इन्हीं नियमों द्वारा पूर्व की स्थायी मान्यता को समाप्त कर दिया गया। उपरोक्त नियमानुसार अस्थाई व नियमित मान्यता, दो श्रेणियां सृजित की गई है। अस्थाई मान्यता 3 वर्षों के लिये व नियमित मान्यता अधिकतम 5 वर्षों के लिये है।
श्री सुनील कुमार की पोस्ट डॉक्टरल फैलोशिप की अवधि माह मार्च, 2015 में समाप्त हो जायेगी एवं श्री आर.एस.पाराशर की सेवाएं विभाग मे ही शिक्षा (ग्रुप-4) विभाग में ली जा रही है।