महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति सजग रहे-मीणा

महिला सुरक्षा कार्यक्रम संबंधी जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित
DSC_7236अजमेर। मुख्य कार्यकारी अधिकारी नगर निगम श्री सी.आर. मीणा ने कहा कि महिलाओं को आत्मज्ञान व अधिकारों का बोध होना आवश्यक है। यदि महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति सजग रहेगी तो कोई उनके अधिकारों के हनन का साहस भी नही करेगा। श्री मीणा आज जिला परिषद सभागार में महिलाओं की सुरक्षा हेतु लागू विभिन्न योजनाओं, अधिनियमों के प्रचार-प्रसार तथा स्टेक होल्डर्स के आमुखीकरण व प्रशिक्षण हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा, दहेज प्रताडना, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीडन आदि के संबंध में कानून बनाकर महिलाओं के प्रति समानता के दृष्टिकोण के साथ ही गरिमापूर्ण जीवन जीने के अधिकारों का संरक्षण किया गया है। अत: महिलाओं को अपने अधिकारों का बोध रखते हुए किसी भी प्रकार के दुव्र्यवहार का विरोध कर अपने हितों का रक्षण करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि समाज में महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत होकर नये आयाम स्थापित कर रही है, समाज में भी महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में काफी बदलाव आया है। लेकिन आज भी दहेज प्रताडना, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीडन,खाप पंचायतों के महिला विरोधी निर्णय, डायन प्रथा जैसी घटनाएं समाज में महिलाओं की वास्तविक स्थिति को बयां करती है।
अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री यशोदानन्दन श्रीवास्तव ने कहा कि समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में काफी बदलाव आया है और इस बदलाव में महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों खासा महत्व रहा है। उन्होंने कहा कि जब कोई पीडित महिला पुलिस थानों, महिला सुरक्षा सलाह केन्द्र, परिवार परामर्श केन्द्र, स्वयंसेवी संस्था एवं संबंधित सेवा प्रदाता के पास पहुंचे तो उन्हें संवेदनशील होकर प्राथमिकता से पीडिता की समस्या को सुनकर उचित मार्गदर्शन देकर राहत पहुंचानी चाहिए। साथ ही महिलाओं के लिए जारी विभिन्न कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है, क्योंकि समुचित जानकारी के अभाव में कई महिलाएं अपने हितों का संरक्षण करने में असफल रह जाती है।
प्रशिक्षु आर.जे.एस. श्री सुरेन्द्र चौधरी ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों के सरंक्षण के लिए विभिन्न कानूनों के माध्यम से कई प्रावधान किए गए है। घरेलू हिंसा की स्थिति में सुरक्षा व प्रतिकार के लिए घरेलू हिंसा से महिला का संरक्षण अधिनियम-2005 लागू किया गया है। इससे पूर्व भी दहेज प्रतिषेध अधिनियम, बाल-विवाह निषेध अधिनियम एवं कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीडन रोकथाम, निषेध व निवारण अधिनियम 2013 मौजूद है। यदि महिला के अधिकार व गरिमा का हनन किया जाए तो उन्हें इन कानूनों मे माध्यम से प्रतिकार करना चाहिए। न्यायालय के माध्यम से ऐसे मामलों में उचित न्याय प्रदान कर दोषियों को दण्डित करने का प्रावधान है।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में विशाखा शिक्षण व शोध समिति जयपुर के श्री भरत शर्मा ने महिला सलाह एवं सुरक्षा केन्द्रों के कत्र्तव्य व दायित्व के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पेरालीगल वालंटियर प्रीतकंवल ने घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम-2005 के अन्तर्गत शारीरिक हिंसा, आर्थिक हिंसा, यौन हिंसा एवं शाब्दिक व भावनात्मक हिंसा के संबंध में किए गए प्रावधानों के संबंध में जानकारी दी। पुलिस उपाधीक्षक श्रीमती प्रीती चौधरी ने कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीडन के संबंध में कहा कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा के स्वयं तैयार रहे, वे अपने बच्चों को समाज इस तरह तैयार करे कि वो अपनी रक्षा स्वयं कर सके। उन्होंने महिलाओं के लिए बने कानूनों के दुरूपयोग पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कानून रक्षक तब होगा जब हम अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे एवं इनका दुरूपयोग नही करेंगे।
इससे पूर्व कार्यक्रम अधिकारी श्री महावीर सिंह ने कार्यशाला की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। इस अवसर पर जिला प्रमुख श्रीमती सीमा माहेश्वरी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद श्री लालाराम गूगरवाल, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग प्रियंका जोधावत, उपनिदेशक सामाजिक न्याय व आधिकारिता विभाग श्रीमती विजयलक्ष्मी गौड, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,पुलिस, चिकित्सा, न्यायिक सेवा, जिले के समस्त संरक्षण अधिकारी, सेवाप्रदाता संस्थाएं, महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र के प्रभारी, परामर्शदाताओं समेत संबंधित विभाग के प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन श्रीमती वर्तिका शर्मा ने किया।

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