संत गोविन्द गुरू व मानगढ़ के शहीदों को नमन

DSC_6587DSC_6573अजमेर। भारतीय जनता पार्टी शहर जिला अजमेर तथा भा.ज.पा. कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ राजस्थान द्वारा कार्यक्रम आयोजित कर आज स्थानीय बजरंगढ़ चौराहे पर शहीद स्मारक में संत श्री गोविन्द गिरी जी तथा मानगढ़ के शहीदों को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए जिलाध्यक्ष अरविन्द यादव ने कहा कि आजादी के संग्राम में अंग्रेज सरकार द्वारा किया गया। सबसे बड़ा तथा जघन्य नरसंहार था।
संत गोविन्द गिरी ने बांसवड़ा, डूंगरपूर सहित, भीलों व आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में अपने आध्यात्मिक पथ से जागरूकता बनाते तथा भीलों व आदिवासियों में उनका बेहद सम्मान था तथा यह वर्ग गोविन्द गिरी के विचारों से पुराने सामाजिक, धार्मिक बंधनों से मुक्त होकर समाज सुधार व शिक्षा के प्रति प्रेरित हुआ।
भीलों व आदिवासी वर्ग को जागरूक कर उनके अधिकारों को दिलाने के लिये गोविन्द गिरी के आव्हान पर मानगढ़ की पहाड़ियों पर दिपावली व दशहरा पर्व को मेले के रूप में डेढ़ माह तक चलाया गया। जिसे तत्कालीन रियासत तथा अंग्रेज सरकार ने अपने लियें खतरा मानकर इस समारोह को कुचलना चाहा लेकिन गोविन्द गिरी के नहीं भुलने पर अंग्रेज सेना ने मानगढ़ पर तोपों व मशीनगनों से वहां मौजूद निरीह भीलों व आदिवासियों का नरसंहार किया व 2 हजार से अधिक लोग शहीद हुए। यादव ने कहा कि 1857 की क्रांति के दौरान राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में भीलों के सहयोग से तात्या टोपे ने 1858 में क्रांति का सूत्रपात किया। जिसे आगे गोविन्द गिरी ने नेतृत्व दिया।
भा.ज.पा. कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष गोपाल बंजारा ने कहा कि राजस्थान के बांगड़ प्रदेश के भीलों के प्रथम उद्वारक के रूप में गोविन्द गिरी का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा है वर्ष 1858 में डूंगरपूर जिलें के बेड़का गांव में हुआ तथा यहां पर अपने गुरू से दीक्षा लेकर घूनी व ध्वज स्थापित किया उनके ध्वज तलों हजारों अनुयायी बनें व स्वाधीनता का संकल्प लिया।
श्रद्धांजलि सीमा को सम्बोधित करते हुए सुलोचना शुक्ला, सीताराम शर्मा, उषाकिरण जोशी ने कहा कि अंग्रेज सरकार द्वारा आजादी की लड़ाई के सूत्रपात पर किये गये जघन्य नरसंहार के बाद अंग्रेज सैनिकों द्वारा कत्ल किये गये निरीह लोगों की मौतों के आंकड़े तक को इतिहास में से गायब कर देने का दुष्कृत्य कर विश्व को इससे अंजान रखा।
श्रृद्धांजलि सभा में पूर्व सभापति सरोज जाटव, रमेश शर्मा, डॉ. कमलकांत, जयंति तिवारी, अनिल मकवाना, खेमचन्द नारवानी, शफी बक्श, महेन्द्र सैन, जितेन्द्र चौहान, अनीष मोयल, स्टीफन सैमसन, कमला जिरोता, प्रेमलता बुगालिया, धर्मराज यादव, प्रभूलाल कायत, भगवति रूपाणी, मुकेश खींची, वरूणदीप सिंह, श्वेता शर्मा, लक्ष्मण रूपानी, सुभाष माहेश्वरी, चिरंजीलाल शर्मा, पवन अरोड़ा, विद्या हरचन्दानी, कुसुम मिश्रा, देवीलाल जांगीड़, नरसिंह बंजारा, महावीर सिंह राठौड़, महेश वैष्णव, अजय भाटिया सहित भा.ज.पा. कार्यकर्ता मौजूद थे। सरोज जाटव ने आभार व्यक्त किया।
जिलाध्यक्ष यादव ने बताया कि इस कार्यक्रम में पुष्कर व ब्यावर पालिका के चुनावों में दायित्व लेकर वहां पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं को मुक्त रखा गया था।
कार्यक्रम में शहीद स्मारक पर लगाया गया चित्र जिस पर मानगढ़ की घटना का सजीव चित्रण था इसे वर्ष 1984 में अजमेर के स्वतंत्र पत्रकार स्व. श्री जगन्नाथ यादव द्वारा प्रकाशित व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राजेन्द्र मोहन भटनागर द्वारा लिखित पुस्तक रक्तध्वज से लिया गया तथा इस चित्र को उस समय में अजमेर के प्रख्यात आर्टिस्ट स्व. श्री प्रकाश जैन ने अपने हाथों से तैयार किया था।
भा.ज.पा. अनुसुचित जनजाति द्वारा प्रांत स्तर पर मानगढ़ धाम पर आयोजित श्रृद्धांजलि समारोह में अजमेर शहर से जिलाध्यक्ष प्रकाश मीणा के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता रविवार को मानगढ़ गये।
कंवल प्रकाश किशनानी
जिला प्रचार मंत्री
भाजपा शहर जिला अजमेर
मों. 9829070059
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