हिन्दी कविता को गम्भीर क्षति

कैलाश वाजपेयी के निधन पर श्रद्धांजलि
2अजमेर कला सहित्य के प्रति समर्पित संस्था नाट्यवृंद, प्रबुद्ध मंच, शब्द इत्यादि संस्थाओं और नगर के कवि-साहित्यकारों ने प्रख्यात साहित्यकार और मूर्धन्य कवि डॉ. कैलाश वाजपेयी के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी है। कवि बख्शीश सिंह ने बताया कि 79 वर्ष के वाजपेयी दार्शनिक मिजाज के कवि थे। उन्होंने अन्तराष्ट्रीय मंचों पर कविता की विशेष पहचान स्थापित की है। डॉ. रमेश अग्रवाल ने कहा कि हाल ही में काव्य संग्रह ‘हवा में हस्ताक्षर पर उन्हें 2009 मं साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था। डॉ. सी.पी.देवल ने कहा कि सातवें दशक के विद्रोही कवि रहे वाजपेयी ने कविता के शिल्प में भी परिवर्तन किया था। उमेश कुमार चौरसिया उनके कृतित्व पर चर्चा करते हुए बताया कि संक्रांत, तीसरा अंधेरा, महास्वप्न का समंदर, सूफीनामा, पृथ्वी का कृष्णपक्ष उनकी प्रसिद्ध कृतियां थीं। डॉ. अनन्त भटनागर ने इसे हिन्दी कविता के लिए गम्भीर क्षति बताते हुए कहा कि वे कई भाषाओं के जानकार थे, उनकी कविताओं के अनुवाद भी कई भाषाओं में हुए हैं। कालिंदनंदिनी शर्मा, गोविन्द भारद्वाज, रासबिहारी गौड़, डॉ.पूनम पाण्डे, गोपाल गर्ग इत्यादि ने भी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
उमेश कुमार चौरसिया
संपर्क-9829482601

error: Content is protected !!