हिन्दू दर्शन में अस्पृश्यता का कोई स्थान नहीं – हनुमान सिंह राठौड़

12 (2)अजमेर 14 अप्रेल। अधिवक्ता परिषद राजस्थान अजमेर ईकाई द्वारा अम्बेडकर जयंति के उपलक्ष्य में सामाजिक समरसता कार्यक्रम के अन्तर्गत स्वामी कॉम्लेक्स के सभागार में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया के मुख्य वक्ता शिक्षाविद् लेखक एवं विचारक श्री हनुमान सिंह राठौड़ ने अपने उदबोधन में कहा कि जिस हिन्दु धर्म में कण कण में भगवान एवं प्रत्येक जीव एवं पशु में ईश्वर का वास माना जाता हो उस हिन्दु धर्म में दलित वर्ग को लेकर जो अस्पर्शता है वह विकृति किसी के द्वारा उत्पन्न की गयी है और उस विकृति को दूर करने के लिये डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने जो कार्य किया उसी के परिणाम स्वरूप आज हमारे समाज में समरसता स्थापित हो पायी है।
डॉ. अम्बेडकर ने अपना सर्वस्व जीवन दलित समाज के उत्थान के लिये समर्पित किया और हिन्दू धर्म के प्रत्येक वर्ग को एक समान स्थापित करने के लिये प्रयास किया। आजादी से पूर्व देश की सामाजिक व्यवस्था छूआछूत व ऊंच नीच के कारण खण्ड खण्ड थी उसके परिणाम स्वरूप हिन्दू धर्म की एकता पर भी संकट उत्पन्न हो गया था। डॉ. अम्बेडकर द्वारा केवल मात्र दलित वर्ग के उत्थान के लिये ही कार्य नहीं बल्कि उनके प्रयासों से हिन्दू धर्म भी संगठित हुआ है।
शिक्षाविद हनुमान सिंह जी ने यह भी कहा कि दलित समाज स्वाभिमान के साथ खड़ा हो सके और हिन्दू समाज समरस समाज बने जिसके लिये डॉ. अम्बेडकर ने कार्य किया। अम्बेडकर को जितना समाज को संगठित करने का प्रयास स्वतंत्रता के पूर्व नहीं करना पड़ा उससे कही अधिक स्वतंत्र भारत में करना पड़ा जिसके लिये उन्होने कानून के द्वारा दलित समाज को संरक्षित सुरक्षित व संगठित करने के लिये विभिन्न प्रकार के आन्दोलन भी खडे किये। डॉ. अम्बेडकर ने हिन्दू समाज में फैली अस्प्रश्यता जैसी कुरीति को दूर करने के लिये जो सुधार किये उसी के कारण उन्हें भारत रत्न जैसे सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अधिवक्ता परिषद के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट जगदीश सिंह राणा थे। कार्यक्रम का संचालन अशोक अग्रवाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अधिवक्ता परिषद के सदस्य परिवार सहित उपस्थित रहे।
अशोक अग्रवाल
अधिवक्ता परिषद अजमेर
मों. 9414364054
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