अष्टांग योग दर्शन में नियम के आचरण को आत्मोन्नति का मार्ग बताया
गया है। शरीर केवल एक माध्यम मात्र है तथा इससे धर्म की साधना की जा सकती
है। इसके लिए आंतरिक स्तर पर शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय एवं ईश्वर प्रणिधान
आदि नियमों को जीवन में आचरित करने की आवश्यकता है। यदि हम स्वयं का
अध्ययन करने लगते हैं तो विचार शुद्धि होती है तथा देहासक्ति से मुक्ति होकर
योग मार्ग प्रशस्त होता है। इससे चित्त की वृत्तियाँ शांत होती है एवं आनंद की
प्राप्ति होती है। उक्त विचार विभाग प्रमुख डॉ. स्वतन्त्र शर्मा ने विवेकानन्द केन्द्र
कन्याकुमारी शाखा अजमेर द्वारा आदर्श नगर में आयोजित योग सत्र के पांचवे
दिन व्यक्त किए।
आज के अभ्यासों में केन्द्र की जीवन व्रती कार्यकर्ता श्वेता टाकलकर,
रविन्द्र जैन, सहनगर प्रमुख क्षितिज तोषनीवाल द्वारा शशांक आसन, सुप्तवज्रासन
आदि का अभ्यास कराया गया तथा आसनों के लाभ भी बताए गए। डॉ. शर्मा ने
बताया कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के परिप्रेक्ष्य में नगर के प्रमुख स्थानों पर लगाए
जा रहे योग सत्रों की शृंखला में विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा अजमेर
द्वारा दस दिवसीय योग सत्र का आयोजन प्रातः 5.30 से 7.00 बजे तक गाँधी
भवन उद्यान, आदर्श नगर, अजमेर में किया जा रहा है इस योग सत्र का समापन
12 मई को होगा ।
(डॉ0 स्वतन्त्र शर्मा)
विभाग प्रमुख
9414259410