हर साल की तरह इस साल भी बरसो से चली आ रही दस्तूर ए खादिमा के मुताबिक विश्र्व प्रसिद्ध सूफी संत हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती गरीब नवाज़ की इकलौती बेटी साहिबज़ादी सैयदा बीबी हाफीजा जमाल का उर्स बड़ी शान ओ शौकत के साथ मनाया गया जिसमे हज़ारो की तादाद में अकीदतमंदों ने भाग लिया। सुल्तानुल हिन्द हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैहि की एकलौती बेटी साहेबज़ादी सैय्यदा बीबी हाफिज़ा जमाल का उर्स मनाया गया। 18 रजब को अस्र की नमाज़ के बाद गद्दीनशीन सैयद फकर काज़मी चिश्ती की सदारत में दरगाह शरीफ के निजाम गेट से जुलुस के रूप में चादर लायी गई ।जिसमे सेकड़ो की तादाद में अकीदतमंद मौजूद थे। चादर को अकीदत के फूलो के साथ मज़ार पर पेश किया गया। तथा रात को गद्दीनशीन काज़मी की सदारत में दरगाह के आहता ए नूर में महफ़िल ए समा का आयोजन किया गया। अगले दिन 19 रजब को कुल की रस्म अदा की गई और उसके बाद तमाम जायरीन में लंगर तकसीम किया गया।
सैयदा बीबी हाफीजा जमाल जब पैदा हुई थी तो हुज़ूर गरीब नवाज़ ने अपनी बेटी सैयदा हाफीजा जमाल को अपना लोह मुबारक (थूक मुबारक) चटा दिया था जिससे की आप पैदाइशी कुरान की हाफीजा (जो कुरान को अच्छे से अपने दिल और दिमाग में अक्ष कर ले, उतार ले, उसको याद कर ले ) हुई जबसे आपका नाम सैयदा बीबी हाफीजा जमाल रखा गया। आप बहुत इबादत गुजार अौरत मालूम होती थी। आपने तारागढ़ के जंगलो में जाकर इबादत रियाजत करी और चिल्लाकशी करी, आप की शादी हुज़ूर गरीब नवाज़ ने अपने भाई हज़रत ख़्वाजा फखरुद्दीन गुर्देजी के बड़े बेटे हज़रत ख़्वाजा सैयद रज़ीउद्दीन मसूद चिश्ती उर्फ़ शेख रज़्ज़ी बुज़ुर्ग से की थी। आप की 5 बेटियां “सैयदा जमाल, असमत जमाल, नूर जमाल, शाह जमाल और हुस्न जमाल थी और एक बेटे ख़्वाजा सैयद वाहिदुद्दीन चिश्ती हुए।
बताया जाता है की ख़्वाजा गरीब नवाज़ अपनी बेटी सैयदा बीबी हाफीजा जमाल को तौफा ऐ नज़्र ख़ास इसी दिन दिया करते थे। जिसके चलते आज भी 18 और 19 रजब को हर खुद्दाम हजरात अपनी बहन बेटियो का उरसाना हिस्सा जिसमे हलवा पुड़ी और मिठाईया और उर्सना बंद लिफाफे में भेजा करते है।
Raees khan