गीत संगीत की शिक्षा से भी संस्कृति का बढावा मिलता है

tirthanisअजमेर 21 मई । सिन्धु संस्कृति के ज्ञान व विस्तार के लिये सिन्धी भाषा के शिविरों से विद्यार्थियों को महापुरूषों के जीवन के प्रेरणा प्रसंग सीखने को मिलते हैं एवं गीत संगीत की शिक्षा से भी संस्कृति का बढावा मिलता है। ऐसे विचार भारतीय सिन्धु सभा की ओर से स्वामी सर्वानन्द विद्या मन्दिर में आयोजित सिन्धु बाल संस्कार शिविर के उद्घाटन पर प्राचार्या मनजीत कौर व सभा के प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहे। शिविर आगामी 30 मई तक आयोजित किया जा रहा है।
शिविर के प्रारम्भ में योगाचार्य दौलतराम थदाणी व खेल शिक्षक रामगुरू ने शिविरार्थियों को योग, प्रणायाम व प्रार्थना का अभ्यास करवाया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बच्चाणी ने देश भर में ग्रीष्मकालीन अवकाश में ऐसे शिविरों की योजना बताते हुये इसे संस्कृति के साथ स्वस्थ रहने के लिये आवश्यक बताया। संगठन मंत्री मोहन कोटवाण ने कहा कि अजमेर महानगर में पांच शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रथम शिविर का आयोजन शुरू किया गया है।
घनश्याम भग्त ने विद्यार्थियों को सिन्धी अबाण ब्ोली-मिठडी अबाणी बोली, विसारिया न मां लालण खे- गीत पर नृत्य भी तैयार करवाया। कार्यक्रम का संचालन दीदी रूकमणी वतवाणी ने किया। शिक्षक के रूप में लतिका व सुनीता ने सेवायें दी। स्वागत भाषण महानगर अध्यक्ष मोहन तुलस्यिाणी व आभार रमेश वलीरामाणी ने किया।
कार्यक्रम की शुरूआत में ईष्टदेव झूलेलाल, मां सरस्वती, सिन्ध के मानचित्र, भारत माता के चित्र पर दीप प्रज्जवलन, पुष्पहार पहनाकर किया गया। इस अवसर पर सिन्धी शिक्षा समिति के अध्यक्ष भगवान कलवाणी, पार्षद खेमचन्द नारवाणी, रमेश गागनाणी जयकिशन हिरवाणी, नारायणदास मीरचंदाणी, लेखराज ठकुर सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।
मोहन तुलस्यिाणी
महानगर अध्यक्ष
94131 35031

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