धूमधाम से मनाया जलझूलनी पर्व, बही भजनों की सरिता

पाष्चात्य युग में हमारी संस्कृति को जीवंत रखना परम आवष्यक है। – वन्दना नोगिया, जिला प्रमुख

आत्म संयम, साधना एवं जल के महत्व एवं संरक्षण का पर्व है जलझूलनी एकादषी। – धर्मेन्द्र गहलोत, महापौर, नगर निगम

विघटित होते परिवार की रोकथाम एवं लुप्त होती संस्कृति को पुनर्जीवित करने में पर्वों व उत्सवों की महत्वपूर्ण भूमिका। – सुनिल दत्त जैन, महानगर संघ चालक

a1अजमेर। लोक पर्व एवं संस्कृति सागर संस्थान एवं सप्तक परिवार द्वारा जल एवं सूर्य उपासना का पर्व जलझूलनी एकादषी पर्व उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सुन्दर विलास स्थित गर्ग भवन में दोपहर तीन बजे से रात्रि 8 बजे तक भक्तिमय शास्त्रीय संगीत की बैठक, महाआरती, जलाभिषेक एवं पूजन किया गया। जल झूलनी एकादषी पर्व यषोदा मैया के कुआं पूजन एवं श्री कृष्ण के जन्म पष्चात प्रथम बार जल विहार उत्सव को आज भी देषभर में उत्साह एवं उमंग से मनाते हैं।
संस्था अध्यक्ष श्री उमेष गर्ग ने बताया कि इस अवसर पर अजमेर के ख्याति प्राप्त शास्त्रीय संगीत आनन्द वैद्य, वैषाली वैद्य डाॅ. रजनीष कुमार चारण, कुमार नितेष, रैना, राजू कायत, आषीष रावलोत ने अपने भक्तिमय संगीत से बैठक को सरोबार किया एवं श्री ललित शर्मा, श्री नरेन्द्र जैन, श्री प्रसन्न कुमार ने वाद्य यंत्रों पर संगत दी। इस उत्सव में कुमार नितेष ने गणपति वन्दना एवं ऐसा प्यार जगा दे मैया, डाॅ. रजनीष चारण ने सावंरिया म्हाने प्यारो लागे सा, ठाकुर जी आज पधारो…., वैषाली वैद्य ने सावंरिया आ जइयो…, अब राधे रानी दे दो बंसी मोरी, विख्यात आनन्द वैद्य ने बदरिया बरस सांवरे के देष…., रंगी सारी गुलाबी चूनरिया रे…. आदि पेष कर भावविभोर कर दिया। उत्सव में पुष्टिमार्गीय सेवा के जनम एवं संस्था के प्रेरणा स्त्रोत श्री वासुदेव मित्तल ने सभी अतिथियों को स्वागत किया एवं संस्था द्वारा वासुदेव जी मित्तल का सत्कार एवं आभार प्रकट किया।
हाथी भाटा लक्ष्मीनारायण मन्दिर से पधारे ठाकुर जी की आरती की गई। इस अवसर पर नगर निगम महापौर श्री धर्मेन्द्र गहलोत कहा कि विघटित होते परिवारों एवं संस्कृति के संरक्षण में पर्वों की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारतीय संस्कृति में पर्यावरण के संरक्षण को बहुत महत्व दिया गया है। वर्षा पर्यन्त नूतन जल की पूजा के रूप में इस पर्व का विधान रहा है।
जल स्वयं देवता है और प्रलभ अनिवार्य आवष्यकता ही जल है और इस पर्व के माध्यम से समाज में इसका अच्छा संदेष जाता है कि नदियां हमारी नाडीया हैं पर्वत हमारे हृदयखंड अतः प्रकृति एवं पर्यावरण को हमारे अंग समझकर इनका सम्मान एवं संरक्षण करना चाहिये।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महानगर संघ चालक श्री सुनिल दत्त जी जैन ने कहा कि – ‘‘आत्म संयम, साधना का पर्व है जल झूलनी एकादषी। हमारे जीवन में संवेदनायें कम हो रही है और उत्सवों के रंग फीके पडते जा रहे हैं। पाष्चात्य संस्कृति, विघटित एवं उत्तम उपाय है। हमारी संस्कृति एवं इससे जुडे पर्वों को परिवार के साथ उल्लास से मनायें। उत्सव हमारे जीवन में भी रंग भरने वाले हैं एवं जिला प्रमुख वन्दना नोगिया ने कहा कि इस पाष्चात्य युग में हमारी संस्कृति को जीवन्त रखना परम आवष्यक है। इस अवसर पर ठाकुर जी का नयनाभिराम श्रृंगार, अभिषेक, पूजन वं आरती की गयी एवं सभी भक्तों द्वारा ठाकुर जी को जल में झुलाया गया।
आज महाआरती में नगर निगम के महापौर धर्मेन्द्र गहलोत, श्रीमती हेमा गहलोत, सुनित दत्त जैन, आनन्द अरोडा, वन्दना नोगिया, श्री षिवषंकर हेडा, शषिप्रकाष इन्दोरिया, मोहन खण्डेलवाल, विनीता जैमन, वृतिका शर्मा, लेखराज, गोकुल अग्रवाल, पार्षद अनिष मोयल, योगबाला वैष्णव, देवेन्द्र गर्ग, अन्जना पंसारी सहित अनेक रसिक भक्त, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता उपस्थित थे।
अन्त में वनिता जैमन एवं वृतिका शर्मा ने सभी का आभार प्रकट किया। अरूणा गर्ग ने कार्यक्रम का संचालन किया।
भवदीय
(उमेष गर्ग)
9829793705

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