व्यक्ति व्यक्ति का विरोधी न होकर सहयोगी होना चाहिए

DSC08429 - CopyDSC08422DSC08425अजमेर 28 नवम्बर 2015 भारतीय जनता पार्टी शहर जिला अजमेर के सक्रिय कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ स्थानीय होटल मेरवाडा एस्टेट में प्रदेश मंत्री श्री बीरमदेव सिंह द्वारा किया गया। सत्र के प्रारंभ में सर्वप्रथम मां भारती, पण्डित दीनदयाल उपाध्याय एवं श्यामा प्रसाद जी मुखर्जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन करके किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्य़क्ष श्री अरविंद यादव ने की। शिविर में शहर जिला अजमेर के लगभग 150 सक्रिय कार्यकताओं ने भाग लिया।जिला प्रचार मंत्री शरद गोयल ने बताया कि उदघाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुये प्रदेश मंत्री श्री बीरमदेव सिंह ने वर्तमान राजस्थान सरकार की उपलब्धियो पर अपना उदबोधन दिया। श्री बीरमदेव सिंह ने कहा की वर्तमान राजस्थान सरकार द्वारा बहुत सी जनकल्याण की योंजनाएं चलायी जा रही है जिससे समाज का हर वर्ग लाभान्वित हो रहा है, राज्य सरकार द्वारा भामाशाह योजना, सरकार आपके द्धार, अपना जिला अपनी सरकार, न्याय आपके द्धार, रिर्सजेन्ट राजस्थान द्धारा राज्य में निवेश लाना, ग्राम गौरव पथ योजना,अटल सेवा केन्द्र, पन्नाधाय योजना, स्वाथ्य कार्ड द्धारा निशुल्क ईलाज, सुकन्या योजना, गौग्राम योजना, देवनारायण स्कूटी योजना सहित अनेक जनकल्याणकारी योजनाऐं वर्तमान में चलायी जा रही है, साथ ही राज्य सरकार द्धारा अब तक 53 हजार नौकरिया युवा को दी गई व लगभग 1 लाख नौकरिया अगले कुछ समय में दी जायेगी । अगले सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ भाजपा नेता श्री श्रीकिशन सोनगरा ने एकात्म मानववाद विषय पर कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन दिया श्री सोनगरा ने विषय पर बोलते हुये समय के साथ यह महसूस किया गया कि भारतीय संस्कृति की मूल निष्ठा को व्यक्त करने वाला समग्र विचार एकात्म मानववाद है और हमारी पंच निष्ठाओं का पूर्ण मूल आधार एकात्म मानववाद में निहित है। एकात्म मानववाद का उद्देश्य केवल बहुजन हिताय बहुजन सुखाय नहीं है उसका तो उद्देश्य है समग्र मानव जाति का हिताय सुखाय एकात्म मानववाद का सिद्धान्त यह सिद्ध करता है कि अर्थ धर्म और राजनीति एक दुसरे के पूरक है एक के बिना दूसरा अधूरा ही नहीं खतरनाक भी हो सकता है। पंडित जी के एकात्म मानववाद के अनुसार व्यक्ति व्यक्ति का विरोधी न होकर सहयोगी होना चाहिए जो हमारी सभ्यता एवं संस्कृति के भीतर ही संभव है। पंडित जी मानते हैं कि विविधता मे एकता अथवा एकता का विविध रूपों मे व्यक्तीकरण ही भारतीय संस्कृ ति का केंद्रस्थ विचार है। पंडित जी के कथनानुसार किसी भी राष्ट्र की एक आत्मा होती है उससे अलग जाकर विकास एक विकृति को जन्म देती है आगे चलकर भारत मे भी यह देखा जा सकता है यही कुछ आज हो रहा है। पंडित जी कामानना है कि हम व्यक्ति के भीरत परमात्मा को देखते है जिसके अनुसार हमारा व्यवहार उसके प्रति बनता है पर पश्चिम मे ऐसा कदापि नहीं, शरीर एक उपयोग की वस्तु है उसके सिवाय कुछ नहीं।पंडित जी ने एकात्म मानववाद का सिद्धान्त 1961-62 मे प्रतिपादित किया उन्होंने जब यह देखा कि भारत अनियंत्रित विकास की ओर बढ़ रहा है स्वार्थ परता का जरीया बन गया है लोग इसके संपदा और संप्रभुता को अपना निजी संपति मान लिए है। उनके भीतर का एकात्म मानववाद जाग उठा।एकात्म मानववाद एक विचार नहीं एक आंदोलन है। पंडित जी का उद्देश्य था कि भारतियों का आत्मा जागे और पुनरू अपनी सभ्यता संस्कृति संस्कार के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति के हित चिंता कर विकास करे। पंडित जी का एकात्म मानववाद का सिद्धान्त आज भी प्रासंगिक है जिससे हमारी एकता और अखण्डता को बल मिलेगा।आज के तीसरे व अंतिम सत्र में मुख्य वक्ता के रूप मे बोलते हुये प्रदेश कार्य समिति सदस्य, पूर्व सांसद श्री रासासिंह रावत ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के बारें में अपने विचार रखे ।आज की कार्यशाला में शुभारंभ के अवसर पर शहर जिला अध्यक्ष श्री अरविंद यादव, महापौर श्री धर्मेंद्र गहलोत, श्री शिवशंकर जी हेडा, श्री धर्मेश जैन, उपमहापौर श्री सपंत साखंला, महामंत्री श्री रमेश सोनी, श्री जयकिशन पारवानी, श्री तुलसी सोनी एवं वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित थे।
शरद गोयल प्रचार मंत्री, भाजपा शहर जिला 9414002132

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