प्रो. देवनानी ने किया पुस्तक का विमोचन

PROAJM (1) Dt. 03 Feb 2016अजमेर,3 फरवरी। प्रभारी मंत्राी एवं शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने बुधवार को सलेमाबाद स्थित निम्बार्क पीठ में गोपीश्वर शरण जी महाराज के पाटोत्सव महोत्सव के अवसर पर श्री श्रीजी महाराज द्वारा लिखित ‘श्री गोपीश्वरशरणदेवाचार्यदशश्लोकी एवं शैव-वैष्णव शास्त्रार्थ में शैवों के द्वारा किए गए 64 प्रश्नों का समाधान’ पुस्तक का श्री श्रीजी महाराज के साथ विमोचन किया।
प्रो. देवनानी ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि निम्बार्क पीठ की आध्यात्मिक शान्ति अभिभूत करने वाली है। मध्य काल से लेकर आधुनिक समय तक इस पीठ द्वारा भारतीय संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को भारतीय संस्कृति के अनुरूप ढालने का प्रयास वर्तमान सरकार द्वारा किया जा रहा है। इसी क्रम में प्रार्थना सभा में योग, सूर्य नमस्कार तथा ध्यान को आरम्भ किया गया है। राज्य के समस्त विद्यालयी पुस्तकालयों में भगवत गीता पहुंचाई गई है। इसी प्रकार लगभग 13 हजार 500 विद्यालयों में संस्कृत शिक्षक का पद स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि आगामी सत्रा से लागू होने वाले नए पाठ्यक्रम को भारतीय संस्कृति से परिपूर्ण बनाया गया है।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि व्यक्ति के साक्षर तथा शिक्षित होने में मूलभूत अन्तर है। अक्षर ज्ञान प्राप्त करके कोई भी व्यक्ति साक्षर हो सकता है। श्ाििक्षत होने के लिए उसे सद्साहित्य का अध्ययन करना होगा। महापुरूषों तथा महात्माओं द्वारा प्रदान किए गए ज्ञान को सुनने के पश्चात् उसका आचरण में परिलक्षित होना चाहिए। उन्होंने कहा की भारतीय जीवन दर्शन शान्ति का प्रतीक है। यहां की मिट्टी में सहिष्णुता कूट-कूट कर भरी हुई है।
किशनगढ़ विधायक श्री भागीरथ चैधरी ने अपने संबोधन में कहा कि श्री जी महाराज द्वारा विरचित पुस्तक शैव और वैष्णव सम्प्रदायों के बीच 64 प्रश्नों पर हुए शास्त्रार्थ पर सांगोपंाग दृष्टि डालती है। इससे निम्बार्क सम्प्रदाय की ऐतिहासिकता को नए आयाम मिलेगें।
राजस्थान संस्कृत अकादमी के निदेशक श्री कलानाथ शास्त्राी ने वैष्णव धर्म के मूल चार प्रवर्तकों में से दो के राजस्थान में होने को इस भूमि के लिए सम्मान की बात बतायी। उन्होंने कहा कि राजसमंद में वल्लभाचार्य और सलेमाबाद में निम्बार्काचार्य ने मध्यकाल में भक्ति की सरिता बहाई। गोपीश्वर शरण ने लगभग 150 वर्ष पूर्व समस्त वैष्णव आचायों को एक साथ बैठाने का बहुत बडा कार्य किया।
निम्बार्क पीठाचार्य श्री श्रीजी महाराज ने इस अवसर पर अपने जयपुर प्रवास का प्रसंग सुनाया और पुस्तक रचना के अनुभवों से उपस्थित व्यक्तियों को रूबरू कराया।
इस अवसर पर किशनगढ़ उपखण्ड अधिकारी श्री अशोक कुमार भी उपस्थित थे।

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