राष्ट्रवादी साहित्य का हो सजृन- प्रो. देवनानी

PROAJM Photo (1) Dt. 13 Feb 2016अजमेर, 13 फरवरी। शिक्षा मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने महर्षि सदयानन्द सरस्वती विश्वद्यिालय एवं संस्कार भारती अजयमेरू के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अखिल भारतीय साहित्य संगम के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रवादी साहित्य की रचना समय की मांग है। इसी के अनुरूप साहित्यकारों को देश प्रेम को बढ़ावा देने वाले साहित्य का सृजन करना चाहिए।
साहित्य संगम के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. देवनानी ने कहा कि परिवर्तन की प्रक्रिया तेज गति से संचालित हो रही है। इस प्रक्रिया से भी अधिक तीव्र गति से साहित्य का सृजन होना चाहिए तभी साहित्य, समाज में परिवर्तन का संवाहक बनने का माध्यम बन सकता है। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष की स्थानीय बोलियों तथा भाषाओं में विपुल साहित्य भण्डार संरक्षित है। इसमें संस्कृत तथा उसकी सहोदरी भाषाओं का नाम अग्रणी है। इस साहित्य का भी अनुवाद करके अन्य भाषी पाठकों को उपलब्ध करवाया जाना चाहिए। मानव अपनी मातृ भाषा तथा अध्ययन की भाषा में साहित्य पढ़ना चाहता है। इससे उपलब्ध करवाकर साहित्यकार अपना कर्तव्य पूर्ण कर सकते है। उन्होंने आजादी के पूर्ववर्ती काल का स्मरण करते हुए कहा कि गुलामी के दौरान मौलिक साहित्य सृजन का आभाव रहा। इस कारण जन मन से राष्ट्रीयता की भावना का लोभ होने लगा। राज्य सरकार राष्ट्रीय साहित्य के संवर्द्धन के लिए हमेशा प्रयासरत है। इसी कड़ी में पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय साहित्य को स्थान दिया गया है। राष्ट्रीयता से ओतप्रोत साहित्य शिक्षा में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
इस अवसर पर मुक्ष्य वक्ता केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के निदेशक प्रो. नन्दकिशोर पाण्डे ने अपने संबोधन में कहा कि वैदिक काल से वर्तमान समय तक भारतीय साहित्य प्रकृति प्रेम को केन्द्र बिन्दु मानकर रचा गया है। भारतीय साहित्य में सौंदर्य का वर्णन करने पर भी पहले प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन करने के पश्चात् मानवीय पक्ष को उभारा जाता है। उद्घाटन समारोह के अध्यक्ष महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने कहा कि साहित्य राष्ट्रीय भावना पैदा करने की क्षमता रखता है। देश को विश्व पटल पर चमकाने के लिए राष्ट्रीय अतिआवश्यक है। आज का साहित्य सृजन आने वाली पीढ़ी को राष्ट्रीयता से परिपूर्ण कर सकता है। विशिष्ट अतिथि नगर निगम के महापौर श्री धर्मेन्द्र गहलोत ने कहा कि साहित्य बोल चाल की भाषायुक्त तथा क्लिस्ट शब्दों से परहेज करके लिखा जाना चाहिए। संस्कार भरती के अखिल भारतीय साहित्य विद्या संयोजक श्री राज बहादुर सिंह ‘राज’ ने कहा कि राष्ट्रहित में साहित्य का चिन्तन करना गौरव का विषय है।
पुस्तक का किया विमोचन
अखिल भारतीय साहित्य संगम के उद्घाटन समारोह में सुरेश बबलानी की पुस्तक ‘साओ वणु’ का विमोचन किया गया। इस सिंधी कहानी संग्रह में 12 कहानियों को संग्रहित किया गया है। यह पुस्तक देवनागरी तथा सिंधी दोनो भाषाओं में मुद्रित की गई है।

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