अजमेर 22 फरवरी। बालिका षिक्षा पर ध्यान देना वर्तमान समय की जरूरत है
सम्पूर्ण समाज को षिक्षित करने के लिये इस अभियान को आंदोलन के रूप में चलाना
होगा यह उदगार है सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चि’ती के वंषज वंषानुगत
सज्जादा नषीन दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन के जो सोमवार को ग्राम उंटड़ा में
स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुऐ दिये। इस अवसर पर उनकी और से 70 प्रतिषत
अंक लाने वाली बालिकाओं को सम्मानित भी किया गया।
उनहोने कहा कि मेनें इस अभियान की शुरूआत गांव से इस लिये की है क्योकि
शहरी क्षेत्रों के स्कूल काॅलेजों में तो भामाषाहों की कोई कमी नही रहती है और
बड़े बड़े व्याख्यान दिये जाते परंतु ग्रामीण इलाकों में इस तरह का आभाव रहता
है। उन्होने कहा कि बालिका शिक्षा का हमारे देश में अत्यन्त महत्व है। आज भी
हमारे देश में लड़के और लड़कियों में भेदभाव किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों
मे तो लड़कियों की स्थिति सोचनीय हो जाती है। ग्रामीण परिवेश में लोग शिक्षा
के महत्व से परिचित नहीं हो पाते हैं। उनकी दृष्टि में पुरूषों को शिक्षा की
जरूरत होती है क्योंकि वे नौकरी करने अथवा काम करने बाहर जाते हैं जबकि
लड़कियां तो घर में रहती हैं और शादी के बाद घर के काम-काज में ही उनका
ज्यादातर समय बीत जाता है जबकी वास्तविकता यह यह है अगर बालिकाऐं पूर्ण
षिक्षित नही होंगी तब तक समाज षिक्षा के क्षेत्र में प्रभावहीन रहेगा क्योंकि
चाहे लाड़का हो या लड़की उसकी प्रथम षिक्षक उसकी मां होती है जो उसके भविष्य
की राह का विर्धारण करती है।
उन्होने कहा कि आज का समाज तेजी से बदल रहा है। आज महिलाओं को पुरूषों के
समकक्ष माना जा रहा है। बालिका शिक्षा से आज देश प्रगति की ओर बढ़ रहा है। बाल
विवाह, दहेज प्रथा, महिला उत्पीड़न जैसी घटनाओं में कमी और जागरूकता आयी है।
महिलाओं को समाज के अभिन्न अंग के रूप में पूरे विश्व में स्वीकार किया जाने
लगा है। अतः हम पूरे विश्व में कहीं भी चले जाएंगे ऐसे परिवर्तन दिख जाएंगे ।
उन्होने कहा कि तालिबान के हमले का शिकार हुई पाकिस्तानी स्कूली छात्रा मलाला
युसूफ जई ने दुनिया भर के बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए लड़ने को प्रेरित
किया है 15 साल की मलाला की सराहना करते हुए उन्होने कहा कि हमने देखा कि जब
पाकिस्तान में मलाला युसूफजई को गोली मारी गई, तब वहां लड़कियां सड़कों पर उतर
आईं और शिक्षा से वंचित रखे जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। मलाला के
उदाहरण से इस जरूरत का पता चलता है कि बालिका षिक्षा को बढ़ावा देने के लिये
इनके प्रोत्साहन की जरूरत है इनकी हर संभव मदद करनी चाहिये। उन्होने कहा कि
बालिका षिक्षा के बाधक बन रहे आतंकी संगठनो आई.एस.आई.आई.एस. और तालिबान को
मुंह तौड़ जवाब देने के लिये बालिकाओं को षिक्षित करना समाज की जरूरत है।
इस अवसर पर 70 प्रतिषत अंक हांसिल कर चुकी छात्राओं को ख्वाजा मोईनुद्दीन
चिष्ती ऐज्युकेषनल एडं चैरिटेबल ट्रस्ट की और से स्मृति चिन्ह एवं प्रमाणपत्र
देकर सम्मानित किया गया।
सैयद नसीरूद्दीन चिष्ती
उत्तराधिकारी दरगाह दीवान अजमेर
9829119171