अजमेर(कलसी)। हिजरी संवत के रजब महीने का चांद दिखार्इ देने के साथ ही शुक्रवार रात से महान सूफी संत ख्वाजा मोर्इनुददीन हसन चिश्ती का 804वां सालाना उर्स शुरू हो गया। दरगाह में शादियाने बजाए गए। और तारागढ की पहाडी से तोपे दागी गर्इ। शुक्रवार देर रात दरगाह दीवान सज्जादा नशीन जैनुअल आबेदीन की सदारत में महफिल खाने में पहली महफिल हुर्इ। वहीं देर रात ख्वाजा साहब की मजार शरीफ पर पहला गुसल दिया गया।
खादिम सईद कुतबुद्दीन सखी ने जानकारी देते हुए बताया कि हजरत ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स 1 से 6 रजब तक मनाया जाता है। शुक्रवार को मगरिब की नमाज के बाद रात्रि करीब सवा आठ बजे हिलाल कमेटी की बैठक हुर्इ जिसमें चांद दिखार्इ देने की घोषणा की गर्इ।
इससे पूर्व सोमवार तडके जन्नती दरवाजा जायरीन के लिए खोल दिया गया।
जानकारी के अनुसार शुक्रवार देर रात ख्वाजा साहब की मजार शरीफ पर दिए गए गुसल की रस्म में मजार शरीफ को केवडे और इत्रा से धोया जाता है। उसके बाद उस पर चंदन व फूल पेश किए जाते हैं। इधर, दरगाह शरीफ के महफिल खाने में उर्स की पहली महफिल सजी। जिसमें देश भर से आए कव्वालों ने ख्वाजा साहब की शान में कव्वालियां पेश की।
